कैमरा शाट

इंतजार है हमें किंग खान का

आकांक्षा, पटना

बिहार की राजधानी पटना के पाटलिपुत्रा स्थित सिनेपोलिस में फिल्म डॉन-2 के प्रोमोशन के लिए शाहरुख खान उर्फ किंग खान आने वाले थे । किंग खान के प्रशंसक इस खबर के बाद पी एंड एम मॉल के सामने उनके इंतजार में जमा होने लगे । पर जब यह खबर आई कि उनका चार्टर्ड विमान कुहासे की वजह से मुंबई से पटना के लिये उड़ान नहीं भर सका और अब उनका कार्यक्रम रद्द हो गया है ।

इस खबर को सुनने के बाद भी किंग खान के प्रशंसकों को कोई फर्क नहीं पड़ा । वे तब भी किंग खान का इंतजार करते रहें । पटना पुलिस को लगा कि किंग खान के प्रशंसकों की वजह से मॉल में खरीदारी करने वालों को परेशानी हो सकती है और एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। तब पटना पुलिस ने प्रशंसकों को समझा बुझा कर वापस करना चाहा पर प्रशंसक कतई समझने को तैयार नहीं थे । फिर पुलिस को न चाहते हुये भी वहां जमा भीड़ पर लाठी चार्ज करना पड़ा ताकि वे वहाँ से चले जायें । लेकिन किंग खान के प्रशंसक भी जोश में थे कि वे किंग खान से मिले बिना नहीं जायेंगे । उन्होंने भी पटना पुलिस के कर्मचारियों पर पथराव करना शुरु कर दिया । पथराव की वजह से कई कर्मचारी घायल हो गये । पूरी राजधानी में सिर्फ और सिर्फ किंग खान की ही बातें चल रही थीं । बड़े तो बड़े, बच्चे भी किंग खान की सिर्फ एक झलक देखने के लिये उतावले थे ।

सिनेपोलिस में किंग खान के आने का समय  अपराह्न 3 बजे था लेकिन उनके प्रशंसक सुबह दस बजे से ही उनकी राह देख रहे थे । पटना नहीं आने की खबर पर किंग खान के प्रशंसकों को सहसा यकीन नहीं हो रहा था। उनका कहना था कि वे सुबह का अखबार देख कर यहाँ आयें हैं , इसलिये खबर गलत हो ही नहीं सकती ।

हालांकि काफी निराशा की स्थिति में प्रशंसक वहाँ से चले तो गये पर उन्हें आगे भी इंतजार है अपने चहेते किंग खान का ।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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