रूट लेवल

एक दूसरे के टारगेट पर हैं वेदांता और नक्सली

तेवरआनलाईन डेस्क

एक ओर नक्सलियों और जवानों के बीच जमीनी जंग जारी है तो दूसरी ओर केयर्न एनर्जी ने अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया का बड़ा हिस्सा वेदांता रिसोर्सेज को बेचने के सौदे को सम्पन्न करने की समयावधि दूसरी बार बढ़ा दी है। नक्सलियों ने वेदांता को टारगेट कर रखा है और माना यह जा रहा है कि नक्सलियों के खिलाफ जारी कार्रवाई में पर्दे के पीछे से वेदांता की लाबी काम कर रही है। इस लाबी की कमान गृहमंत्री पी चिदंबरण संभाले हुये है,जिनका वेदांता के साथ पुराना संबंध है।

देशभर में नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ चौतरफा कार्रवाई की जा रही है। कहा जा सकता है कि सरकार नक्सलियों को चून-चून कर मारने की रणनीति पर चल रही है, ताकि वेदांता का रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाये। असल लड़ाई प्राकृतिक संसाधनों को लेकर है। नक्सली भी इस लड़ाई को लंबा खींचने के मूड में हैं। हजारी बाग से आ रही खबरों के मुताबिक वहां के जंगलों में नक्सली और जवानों के बीच मुठभेड़ चल रहा है। अभी तक इस मुठभेड़ में दो जवान मारे गये हैं। इसी तरह ओडिसा और छ्त्तीसगढ़ में भी नक्सली जवानों के खिलाफ मजूबती से मोर्चा संभाले हुये हैं।

अपनी लड़ाई को और तेज करने के लिए नक्सली नये रंगरुटों की भरती पर भी खासा ध्यान दे रहे हैं। इसके लिए नक्सलियों द्वारा विभिन्न स्तर पर सघन अभियान भी चलाया जा रहा है। नक्सलियों की रणनीति अपने अनुभवी नेताओं को बचाते हुये संगठन में अधिक से अधिक नये लोगों की भरती करने की है। भरती किये जा रहे नये लोगों को विधिवध सैनिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है और साथ ही उनके दिमाग में माओ की युद्ध पद्धति को भी बैठाया जा रहा ताकि वे एक लंबे युद्ध के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सके।

फिलहाल नक्सली यही चाहते हैं कि वेदांता का बोरिया बिस्तर यहां से बंध जाये, दूसरी ओर वेदांता की यह पूरी कोशिश है कि नक्सलियों का सफाया हो जाये। इसके लिए वेदांता स्टेट पावर का इस्तेमाल करने की रणनीति अपनाये हुये है। साथ ही नक्सलियों के खिलाफ जारी प्रचार अभियान में वेदांता सक्रिय है। देशभर में पत्रकारों की एक लाबी वेदांता के पक्ष में काम कर रही है। दूसरी ओर राजनीतिक हलकों में नक्सली भी वेदांता के खिलाफ सक्रिय है। अब देखना है कि कई स्तर पर जारी इस लड़ाई के क्या परिणाम निकलते हैं।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button