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पुलिस सर्विस से सुरेश कुमार भारद्वाज की शानदार विदाई

विनायक विजेता

1983 बैच के आईपीएस सुरेश कुमार भारद्वाज 32  वर्षों तक सरकारी सेवा के  उपरांत मंगलवार को   रिटायर हो गए। रिटायमेंट के पूर्व उनकी अंतिम  पदस्थापना गृह रक्षा वाहिनी सह अग्शिाम के डीजी के रुप मे थी। एस के भारद्वाज का नाम उन गिने चुने लोगों में शुमार है, जिन्होंने अपने कार्यकाल में अनेकानेक कठिनाईयों का सामना कर ‘सत्य-निष्ठा’ के साथ नियम एवं संविधान के दायरे में रहकर वैधानिक तरीके से कार्य करते रहे। तीन वर्षो तक आईजी, ,ऑपरेशन,के पद पर रहते उन्होंने  जिस तरह एसटीएफ को एक गति और उर्जा प्रदान की  इसके लिए उन्हें सदा याद किया जाएगा। सेवा निवृति के क्रम में आनंदपुर, बिहटा स्थित गृह रक्षा वाहिनी एवं अगिनशाम सेवा के केन्द्रीय प्रशिक्षण  संस्थान के परेड ग्राउंड में उन्होंने परेड की सलाम ली।

इस आयोजित अपने  विदाई समारोह में श्री भारद्वाज ने कहा कि ‘कोई भी सरकारी, गैर सरकारी कर्मी, आम जीवन से जुड़े लोग किसी भी तरह के लोभ-लिप्शा से उठकर कार्य करेगा  तो उसे कठिनाई तो होती ही है, लकिन सफलता मिलने पर मन को प्रसन्न्ता भी होती है।’

विदाई समारोह में गृह विशेष विभाग के विशेष सचिव परेश सक्सेना,  बीएमपी के एडीजी ए के उपाध्याय, एसके भारद्वाज की पत्नी साधना भारद्वाज,  उनके परिजन,  होमगार्ड और अग्निशम विभाग के दर्जनों पदाधिकारी और पीआरओ उमेश  मिश्रा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। सभा के बाद श्री भारद्वाज ने प्रशिक्षण  संस्थान में वृक्षारोपण भी किया। सभा के अंत में महाराष्ट्र के नासिक से आए  कुछ जाबांज कालाकारों ने आंख के पलक से दो भारी कुर्सी उठा,  सर के बाल  में बंधे रस्से से ट्रक खींचने सहित कई अन्य करतबों ने वहां उपस्थित लोगों  को चकित और दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। शाम 4  बजे एस के  भारद्वाज के सम्मान में बीएमपी-5 में भी विदाई समारोह का आयोजन है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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