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ओडिशा में कुपोषण के खिलाफ जैव-सुदृढ़ फसलों के साथ मजबूत कदम
अमरनाथ,भुवनेश्वर: हाल ही में होटल LYFE में जैव-सुदृढ़ीकरण और पोषण पर एक उच्च-प्रभावी कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं और हितधारकों ने कुपोषण की समस्या और आजीविका सुधार के लिए टिकाऊ समाधान पर चर्चा की।
इस कार्यक्रम में जैव-सुदृढ़ फसलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया, जो कुपोषण से लड़ने, खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और ओडिशा में पोषण सुधारने में सहायक हैं।
कार्यशाला की शुरुआत प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत भाषण से हुई, जिनमें बिनू चेरियन (कंट्री मैनेजर, हार्वेस्टप्लस), संजय कुमार तालुकदार (मुख्य महाप्रबंधक, NABARD), डॉ. राज भंडारी (सदस्य, राष्ट्रीय तकनीकी पोषण एवं स्वास्थ्य बोर्ड, नीति आयोग), डॉ. प्रत्युष कुमार पांडा (सीईओ, वन स्टेज) और डॉ. बसंत कर (जो “न्यूट्रिशन मैन ऑफ इंडिया” के रूप में प्रसिद्ध हैं) शामिल थे।
प्रत्येक वक्ता ने जैव-सुदृढ़ीकरण को कुपोषण से निपटने का एक प्रभावी उपाय बताया और बहु-क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया ताकि प्रभावी बदलाव लाया जा सके।
OUAT के कुलपति प्रवत कुमार राउल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डाला और ब्लैक राइस, रेड राइस और व्हाइट राइस जैसी फसल किस्मों को अपनाने की वकालत की, जो इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं।
कार्यशाला के दौरान महाशक्ति फाउंडेशन और हार्वेस्टप्लस के बीच जैव-सुदृढ़ फसलों को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए।
प्रमुख विशेषज्ञों ने जैव-सुदृढ़ फसलों की भूमिका पर अपने विचार साझा किए, जिससे पोषण सुरक्षा और सतत कृषि को बढ़ावा मिल सके।
बिनू चेरियन ने नीतिगत विविधता और मजबूत ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि सतत कृषि पद्धतियों को समर्थन मिल सके। संजय कुमार तालुकदार ने वित्तीय संस्थानों की भूमिका को रेखांकित किया, जो जैव-प्रमाणित पहलों और कृषि परिवर्तन को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।
राज भंडारी ने प्रभावी कार्यान्वयन रणनीतियों के महत्व को रेखांकित किया और जैव-प्रमाणीकरण को एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में बताया। डॉ. प्रत्युष कुमार पांडा ने युवाओं की सतत कृषि में भागीदारी और जैव-पोषणीय हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
हार्वेस्टप्लस के सीईओ अरुण बराल ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पौष्टिक भोजन सभी के लिए उपलब्ध, सुलभ और किफायती होना चाहिए।
कार्यशाला में डॉ. बसंत कर, डॉ. एम. गोविंदराज, डॉ. सी. एन. नीरजा और डॉ. पी. जे. मिश्रा सहित प्रमुख विशेषज्ञों ने गहन चर्चा का नेतृत्व किया।
उन्होंने भारत के जैव-सुदृढ़ीकरण कार्यक्रमों की वर्तमान स्थिति पर जानकारी साझा की और कुपोषण से निपटने में जैव-सुदृढ़ फसलों की संभावनाओं को विस्तार से समझाया।
सरकारी एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों और उद्योग जगत के नेताओं की सक्रिय भागीदारी के साथ यह कार्यक्रम पोषण सुरक्षा और सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।