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कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित धारावाहिक “कुल की ज्योति कन्या”

राजू बोहरा, नई  दिल्ली

आज के इस आधुनिक दौर में भले ही प्राइवेट इंटरटेनमेंट चैनल्स की संख्या लगातार बढ़ रही हो, लेकिन सच यही है कि आज भी लोगों के लिये मनोरंजन का सबसे बड़ा एवं सशक्त माध्यम दूरदर्शन ही है जो अब भी महानगरों से लेकर गांव-गांव और छोटे-छोटे कस्बों तक में अपनी पहुंच सबसे अधिक रखता है। गौरतलब तथ्य यह भी है कि आज के इस आधुनिक युग में दूरदर्शन ही एक मात्र ऐसा चैनल है जो दर्शकों को हर विषय पर ऐसे साफ-सुथरे, मनोरंजक और सामाजिक धारावाहिक दिखा रहा है जो लोगों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षित भी करते हैं।

डॉ.चन्द्रप्रकाश द्विवेदी के उपनिषद गंगा और आमिर खान के सत्यमेव जयते के बाद दूरदर्शन कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित एक अैर नया दिलचस्प  सामाजिक डेलीसोप “कुल की ज्योति कन्या” लेकर आया है जिसका प्रसारण आफटरनून स्लॉट में सोमवार से शुक्रवार दोपहर 12 बजे किया जा  रहा है। डी एस प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बन रहे निर्माता दीपक शर्मा और आराधना शर्मा  का यह धारावाहिक “कुल की ज्योति कन्या” अभिनेता आमिर खान के “सत्यमेव जयते”  से कार्यक्रम  प्रेरित है।

इस धारावाहिक के  निर्देशक आलोक नाथ  दीक्षित और लेखक  पारस जैसवाल हैं। इस धारावाहिक में गजेन्द्र चैहान, उपासना सिंह, अमित पचैरी, आशा सिंह, साहिबा, विजय भाटिया, मल्लिका, मनीष जैन, चारु वाधवा रमेश गोयल, सुमन गुप्ता, राजेश तिवारी, और अंजू राजीव जैसे चर्चित कलाकार काम कर रहे हैं। अपने इस सामाजिक डेलीसोप को लेकर निर्माता निर्माता दीपक शर्मा  बेहद उत्साहित हैं। वह  कहते हैं हमारी पूरी दुनिया महिलाओं के आसपास घूमती है, वो हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारी माँ, बहन, बेटी सभी महिलाएं है जिनके बिना हम अपना अस्तित्व सोच भी नहीं सकते. अगर उनके लिए कुछ करने का मौका मिले तो इस से बड़ी बात और क्या हो सकती है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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