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कृषि कानून के खिलाफ 25 सितंबर को देशव्यापी चक्का जाम की तैयारी

पटना। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने संसद द्वारा पारित कृषि बिल को किसान विरोधी बताते हुए कहा है कि राष्ट्रीय जनता दल इस बिल का विरोध करती है और इसके विरोध में आगामी 25 सितम्बर, 2020 को सभी जिला मुख्यालयों पर राजद द्वारा प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने संसद से जबरन पारित किए गए किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ आगामी 25 सितंबर को किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित अखिल भारतीय विरोध दिवस का समर्थन किया है और पार्टी की निचली इकाइयों को निर्देश दिया है कि इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें।

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने बिहार सरकार को किसान और गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि बिहार में 2006 में हीं एपीएमसी बंद कर दिया गया था, जिसका परिणाम यह हुआ कि बिहार सरकार के कुल खाद्यान लक्ष्य का 1 प्रतिशत की भी खाद्यान की खरीद नहीं हो सका। यदि एपीएमसी एक्ट में संशोधन से किसानों को लाभ मिलता तो बिहार के किसानों की सम्पन्नता दिखाई पड़ती। जबकि 2006 के बाद बिहार के किसानों की स्थिति काफी बदतर हो गई है। और किसान खेती छोड़कर बड़ी संख्या में रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने बताया कि पार्टी नेतृत्व के निर्देशानुसार कृषि बिल के विरोध में 25 सितम्बर को सभी जिला मुख्यालयों पर पूर्वाहन 11:30 बजे प्रदर्शन कर इस किसान विरोधी बिल को वापस लेने की मांग की जायेगी।

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि ये काले कानून छोटे किसानों से खेती छीन लेने वाले हैं और अब देश में ठेका आधारित खेती की शुरूआत करेंगे। किसानों को महंगी लागत वाले सामान खरीदने तथा अपनी अपनी फसल पूर्व निर्धारित दाम पर बेचने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा। दुनिया भर में सरकारें कंपनियों से किसानों की रक्षा करती हैं, लेकिन हमारे देश में उलटा हो रहा है। कहीं भी बेचने की आजादी के नाम पर किसानों की आंखों में धूल झोंका जा रहा है। दरअसल, यह कारपोरेटों को दी जाने वाली अथाह छूट का कानून है, जिसमें वे किसानों को निचोड़ देंगी। यह कंपनी राज की तरह है। हमारी मांग है कि केंद्र सरकार इन कानूनों को रद्द करे और किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा सभी फसलों की सरकारी खरीद का कानून संसद से पारित करवाए।  उन्होंने कहा कि राज्य सभा में जिस प्रकार से जबरन बिल पास करवाया गया, वह लोकतांत्रिक व्यवस्था की दिनदहाड़े हत्या है। भाजपा के साथ-साथ जदयू भी इस महाअपराध में शामिल है।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा०) की बिहार राज्य कमिटी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि तमाम जनतांत्रिक प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर, कृषि क्षेत्र के निजीकरण से संबंधित विधेयकों को जिस तरह संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया है, वह संसदीय जनतंत्र के काले अध्याय के रूप में जाना जायेगा। इस सिलसिले में सीपीआई(एम.) के दो सांसदों सहित 8 विपक्षी सांसदों को पूरे सत्र के लिये निलंबित करने की घटना सरकार के तानाशाही रवैये को दर्शाता है। आज देश  का किसान पूरे आक्रोश के साथ सड़कों पर उतर रहा है और अगामी 25 सितम्बर को पूरे देश  का चक्का जाम करने का आह्वान किया गया है। पार्टी अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान का समर्थन करती है और बिहार के किसानों का आह्वान करती है कि 25 सितम्बर के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में भारी संख्या में हिस्सा लें।

 

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