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गीता प्रश्नोत्तरी से समाज का मार्गदर्शन होगा : देवेश चंद्र ठाकुर

गीता प्रश्नोत्तरी का हुआ विमोचनना

पटना: प्रसिद्ध लेखिका डॉ ममता मेहरोत्रा की पुस्तक गीता प्रश्नोत्तरी का विमोचन बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने किया। विमोचन समारोह में उद्योग विभाग के विशेष सचिव और साहित्यकार दिलीप कुमार, गजलकार समीर परिमल, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज सिंह भी मंचासीन रहे। पुस्तक विमोचन के उपरांत बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि यह पुस्तक समाज को मार्गदर्शन देने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि ममता मेहरोत्रा की लेखनी ने लंबा सफर तय किया है। उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी यात्रा शुरुआत करते हुए सबसे पहले अनुभव आधारित पुस्तकें लिखीं और फिर कथा,नाटक, शैक्षणिक पुस्तकें आदि लिखने के बाद अब गीता पर यह पुस्तक लिखी है जो युवाओं के लिए तो उपयोगी हैं ही, यह सब के लिए उपयोगी है। इस पुस्तक से हमें पता चलता है कि गीता का सार क्या है। धर्म के रास्ते पर चलते हुए लक्ष्य को प्राप्त करना हमारे जीवन का ध्येय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ममता मेहरोत्रा दूरदर्शी होने के साथ-साथ काफी मेहनती भी हैं। लेखिका ममता मेहरोत्रा ने कहा कि यदि हम नियमित रूप से गीता का अध्ययन करें तो जीत-हार, मित्र-शत्रु, उत्थान-पतन के द्वंद्व का बेहतर तरीके से सामना कर पाएंगे। ममता मेहरोत्रा ने कहा कि हम सबके अंदर असीम क्षमताएं हैं जिसका ज्ञान कराने के लिए हमें मधुसूदन यानी कि एक सच्चे गुरु की आवश्यकता है। महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन का मार्गदर्शन भगवान श्री कृष्ण ने किया। हम सब को भी अपने जीवन में मार्गदर्शन करने वाला सच्चा गुरु प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि गीता सिर्फ धर्मग्रंथ नहीं है बल्कि हमारा सहचर,सखा और मार्गदर्शक भी है।

कार्यक्रम में समीर परिमल ने कहा कि डॉ ममता मेहरोत्रा ने 50 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं और उन्होंने अलग-अलग विषयों पर लिखा है जिससे उनकी विद्वता जाहिर होती है। विमोचन समारोह का संचालन श्वेता ग़ज़ल ने किया। विमोचन के समय डॉ पूनम चौधरी, मुकेश महान, विभा सिंह, आशुतोष मेहरोत्रा, दिव्या यादव, एंजेल, राज कांता, सुधा पांडे, डॉ नीतू नवगीत, मीना परिहार, रत्नेश्वर आदि की उपस्थिति रही।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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