हार्ड हिट

छोटे भाई बड़े भाई की राह पर… बिहार दिवस पर नीतीश चालीसा का पाठ

माइक्रोसाप्ट जोड़ी को बिहार से बेहतर लेबोरेटरी कहीं नहीं मिलेगा

 बिहार दिवस की धूम मची हुई है, एक से एक झलकियां देखने को मिल रही हैं। पिछले तीन दिन से सभी सरकारी भवनों को बत्ती की रौशनी से नहा दिया गया है, एयर शो हो रहे हैं, दौड़ और कुश्ती हो रही है, प्रभातभेरियां निकल रही हैं, नाच गाने हो रहे हैं और सबसे बड़ी बात छोटे-छोटे बच्चों से नीतीश चालीसा का पाठ करवाया जा रहा है। कुल मिलाकर यही संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि बिहार प्रगति के पथ पर चल निकला है और बस चलता ही चला जाएगा। बिल गेट्स और मिलिंडा मुसहरी में बैठकर एक साथ हेल्थ पर वर्क कर रहे हैं।

सब्जी वाले अपनी दुकान लगाये हुये हैं, दाल चावल की दुकने भी खुली हैं, ज्यादातर लोग अपने घरों में ही सिमटे हुये हैं। बिहार दिवस से पुरी तरह से उदासीन, बिहार में मीडिया का कैमरा उनकी ओर क्यों नहीं घूम रहा है, और अखबारों में उन्हें समेटने की कोशिश क्यों नहीं की जा रही है, बिहार में मीडिया के औचित्य पर ही सवाल खड़ा करता है। वैसे तमाम तरह के हलकों में बिहार दिवस के औचित्य पर ही सवाल उठाया जा रहा है, खासकर इस पर होने वाले सरकारी खर्चों की वजह से। वैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम पर नीतीश चालीसा का पाठ कराने की वजह से अब नियत पर ही सवाल उठने लगे हैं। कभी लालू चालीसा का पाठ भी हुआ करता था, छोटे भाई तेजी से बड़े भाई के कदमों पर चलने लगे हैं।

पिछले तीन दिन में जिस तरह से सिर्फ पटना में इलेक्ट्रिक फूंकी गई, उसकी वजह से नीतीश कुमार के बिहार मैनेजमेंट कैपेबिलिटी पर भी सवाल उठने लगे हैं। बिहार भारी इलेक्ट्रिक संकट के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में सिर्फ बिहार गौरव दिवस मनाने के लिए बिजली फूंका जाना कहां तक उचित है।

कुश्ती और खेल में उत्साह की तारीफ हो रही है।एयर शो पटना के लोगों को देखने को मिल रहा है, लेकिन आम लोग इससे दूर ही हैं। स्टेडियम खाली रहा, जितने लोग थे उनमें  इसे देखने का उत्साह जरूर था।        

बिल गेट्स और मिलिंडा को लेकर भी कुछेक हलकों में रोचक चर्चा होती रही। माइक्रोसाफ्ट का सोशियो-इकोनोमिक रिसपांसिबिलटी है, कारपोरेट कल्चर के इस रस्म को निभाने के लिए बिल गेट्स और मिलिंडा की जोड़ी को बिहार से बेहतर लेबोरेटरी कहीं नहीं मिलेगी। थोड़ी देर के लिए दानापुर की एक मुसहरी में एक साथ बैठना उन्हें वैसे भी अच्छा लगेगा। महिलाओं और बच्चों के हेल्थ को बेहतर रखने में माइक्रोसाफ्ट कितना कारगर होता है, इसे तो आगे कैलकुलेट किया जाएगा।

योजनाओं को लिटरेचर के रूप में ढालने की पूरी कोशिश की गई है। कई तरह की छोटी-बड़ी पुस्तिकाएं बंट रही हैं, जिनमें जोर- शोर से विकास के कागजी रूपों को दर्ज किया जा रहा है, अब ये जमीन पर कब उतरती हैं ये देखना अभी बाकी है।

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