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जमाना बड़े शौक से सुन रहा था तुम ही सो गए यह दास्तान कहते-कहते: माननीय राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खा

स्वर्गीय के विक्रम राव जी को अर्पित श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

पटना 21 मई 2025

विधान परिषद के सभागार में वरिष्ठ पत्रकार व राष्ट्रीय अध्यक्ष इंडियन फेडरेशन का वर्किंग जर्नलिस्ट के विक्रम राव जी को अर्पित श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वर्गीय के विक्रम राव के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।

श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए बिहार के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि आईपीएस अधिकारी चयनित होने के बावजूद के उन्होंने पत्रकारिता को महत्व दिया। उन्होंने पत्रकारिता को प्राथमिकता दी और पत्रकारों और पत्रकारिता के हितों में निरंतर संघर्ष करते रहे। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत किया। वह एक योद्धा पत्रकार थे। उनके द्वारा किए हुए पत्र कार्य न सिर्फ पत्रकारिता के क्षेत्र में बल्कि अन्य क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को भी निरंतर प्रेरित करते रहेंगे।

माननीय राज्यपाल महोदय ने कहा कि के विक्रम राव जी के साथ उनकी पहली मुलाकात दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में उसे वक्त हुई थी जब वह एक प्रशिक्षु वकील के तौर पर वहां काम कर रहे थे। आपातकाल के दौरान बड़ौदा डायनामाइट केस में जॉर्ज फर्नांडिस के साथ उनको अभियुक्त बनाया गया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कम उम्र होने के बावजूद भी मेरे मुंह से कुछ निकला और सीजेएम के प्रोत्साहन के बाद राव साहब की नजर भी मुझ पर पड़ी। बात के दिनों में लखनऊ में उनसे मुलाकात हुई और उनको करीब से जानने का अवसर पर। हमारे संबंध धीरे-धीरे प्रगाढ़ होते हैं। आजीवन निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करते रहे। उनके निधन की खबर मिलने पर उनके अंत्येष्टि में भी मैं शामिल हुआ। उनके कलम आजीवन चलती रहे। उनके बारे में कहा जा सकता है कि जमाना बड़े शौक से सुन रहा था तुम्ही सो गए दस्त कहते-कहते।

गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स’ (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव ने 12 मई की सुबह लखनऊ के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। सांस संबंधी तकलीफ के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान ही उनका निधन हो गया
था।

डॉ. राव पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय थे। उन्होंने श्रमजीवी पत्रकारों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाया। उनका जीवन संघर्षशील पत्रकारिता, सिद्धांतनिष्ठ विचारों और निर्भीक लेखनी का पर्याय रहा। उनके पिताजी के. रामाराव भी देश के जाने-माने पत्रकार थे और बेटे के. विश्वदेव राव भी पत्रकार हैं।

इस अवसर पर एमएलसी प्रोफेसर रणवीर नंदन मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं भी पटना हाई स्कूल का छात्र था। पटना के इस स्कूल में श्री राव भी छात्र थे। बात के दिनों में लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्होंने मां किया और एक पत्रकार के तौर पर उन्होंने कई देशों का दौरा किया। वार्षिक पत्रकारों के हक की लड़ाई नहीं लड़ते थे बल्कि उनके प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देते थे यही वजह है कि उन्हें कई पत्रकारों को प्रशिक्षण के लिए विदेश में भी भेजा। उन्होंने एक संपूर्ण जीवन जिया।

डीआरएम समस्तीपुर श्री विनय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वह अपनी बात पूरी निर्भीकता का साथ कहते थे। अपने लिए उन्होंने कभी कोई लाभ नहीं लिया।

इंडियन फेडरेशन का वर्किंग जर्नलिस्ट
प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रमोद दत्त एक पेशेवर पत्रकार के तौर पर वह अंत तक आलेख लिखते रहें। उनके निधन से निधन से पत्रकार नेतृत्व विहीन महसूस कर रहे हैं।

ज्योतिषाचार्य श्री पति त्रिपाठी फिर आपातकालता के इतिहास में एक युग थे। उनके सिद्धांत हमें मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे। पत्रकारिता की गरिमा और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए वह आजीवन संघर्ष करते रहें।
वरिष्ठ प्रकार श्री प्रवीण बागी ने कहा कि योद्धा पत्रकारों में वह सिरमौर थे। कठोर से कठोर बात करने में भी वह हिचकते नहीं थे।

इस अवसर पर संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री मोहन कुमार, प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रमोद दत्त, प्रदेश महासचिव श्री सुधीर मधुकर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मुकेश महान, कोषाध्यक्ष नरेश ठाकुर कोषाध्यक्ष श्री महेश सिंह, संगठन सचिव श्री रामनरेश ठाकुर, कार्यालय सचिव श्री प्रभाष चंद्र शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य श्री अभिजीत पांडे, सचिव श्री चंद्रशेखर भगत शाहिद संगठन के कई अधिकारी पदाधिकारी सहित प्रदेश के कई वरिष्ठ पत्रकार वह साहित्यकार उपस्थित रहे।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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