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जातीयता और विकास में से एक को चुनना होगा : गिरीराज सिंह

गिरीराज सिंह

भाजपा के वरिष्ठ नेता व सहकारिता मंत्री गिरीराज सिंह अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। तेवरआनलाईन  के संपादक आलोक नंदन  के साथ एक खास मुलाकात में उन्होंने बिहार की वर्तमान राजनीति, नक्सलवाद, अयोध्या और विकास जैसे मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत है तेवरआनलाईन द्वारा पूछे गये प्रश्न और उत्तर।

 तेवरआनलाईन : आज बिहार कहां खड़ा है? आज देश और दुनिया की नजर बिहार पर है, बिहार के चुनाव पर है, यहां के समाज पर है, यहां के बदलाव पर है। तो बिहार और बिहार की राजनीति कहां खड़ी है ?

 गिरीराज सिंह : बिहार की पोलिटिक्स दो मुहाने पर खड़ी है। कई दशक से बिहार की राजनीति जातीयता में फंसी हुई है। 77 आंदोलन और विश्वानाथ प्रताप सिंह का जो चला था उसे छोड़कर, हर चुनाव का एजेंडा जातीयता ही रहा। चुनाव जातीय एजेंडे पर होते आ रहे हैं, लेकिन जातियों का कल्याण नहीं हो रहा है। कांग्रेस भी यही करती रही, अन्य पार्टियों ने भी इसी राह को अपनाया और बाद में इसी आधार पर बिहार चलता रहा। दशकों बाद आज बिहार वहीं खड़ा है। बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी की चपेट में है। इस बार के चुनाव में दो ध्रुव होंगे। भाजपा व जदयू का एक खेमा होगा और राजद व लोजपा का दूसरा खेमा होगा। एक तरफ विकास होगा तो दूसरी तरफ जातीयता होगी। बिहार को इन दोनों में से एक को चुनना होगा। बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीबाबू के नेतृत्व में बिहार में विकास हुआ था और इस बार भी विकास का ही नारा उछल रहा है। लोगों को जातीयता और विकास में से एक को चुनना होगा।  

 तेवरआनलाईन : बिहार में नक्सलियों की गतिविधि के बारे में क्या कहेंगे ? वैसे झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी ये लोग खूब सक्रिय हैं। अब तो ये लोग सरकार पर भी धावा मार रहे हैं, जैसा कि पिछले दिनों बिहार में देखने को मिला।

 गिरीराज सिंह : नक्सल पूरे देश की समस्या है।  पूरे देश को मिलकर इस पर सोचना होगा। हालांकि 2004 से 2009 के बीच, जबसे हमलोगों की सरकार बनी, नक्सलियों के खिलाफ जबरदस्त अभियान छेड़ा गया है। नक्सलियों को गिरफ्तार करने के साथ-साथ उनके हथियारों को भी जब्त किया गया है। 2004 के बाद गिरफ्तार किये गये नक्सलियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। यहां तक कि बड़ी संख्या में इनके कैंपों को भी ध्वस्त करने में हम सफल हुये हैं। नक्सलियों का कमान राष्ट्रीय स्तर पर है। अलकायदा और अलगाववादी तत्वों के साथ इनका गठजोड़ है। ये लोग अपनी व्यवस्था कायम कर रहे हैं लोगों से लेवी तक वसूल रहे हैं। हमलोगों ने इन पर चौतरफा चोट किया है, लेकिन वस्तुत: यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है। बिहार के कुछ जिले नेपाल से सटे हुये हैं, जहां पर नक्सल गतिविधियां अधिक हैं, इसी तरह से पश्चिम बंगाल का हाल है, और अन्तत: इनका लिंक चीन और अलकायदा से है।       

 तेवरआनलाईन : बिहार में बंदोपाध्याय कमेटी की सिफारिशों को लेकर काफी हो-हल्ला मचा था, कहा जा रहा था कि सरकार इसे लागू करने की तैयारी कर चुकी है। कहां तक सच है?

गिरीराज सिंह : ये सब बेकार की बात है। कुछ लोग लगातार इस तरह के अफवाह फैलाते रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने पहले ही साफ कर दिया था कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है। बिहार में जमीन के संबंध में जो व्यवस्था चलती आ रही है, फिलहाल वही चलेगी। यहां की जमीन से छेड़छाड़ करने का अर्थ होगा सिविल वार। लोग आपस में लड़ मरेंगे। कोई भी आदमी अपनी जमीन को छोड़ना नहीं चाहेगा। 30 से 40 फीसदी जमीन पर बटाईदारी व्यवस्था के तहत ही लोग खेती-बाड़ी कर रहे हैं। इसके साथ छेड़छाड़ करने से लोग आपस में ही लड़ मरेंगे।  

 तेवरआनलाईन :अयोध्या पर फैसला आने वाला है, फैसले को लेकर क्या रुख होगा?

गिरीराज सिंह : अयोध्या पर कोर्ट के फैसला का सम्मान करेंगे साथ ही प्रतिकूल फैसला आने की स्थिति में व्यवस्थित और न्यायचित तरीके से इस आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। यह आंदोलन अपने अंतिम मुकाम तक पहुंचेगा।

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