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जेएनयू परिसर में 4 जुलाई को होगी फिल्म ’72 हूरें’ की स्पेशल स्क्रीनिंग

मुंबई। जब से फ़िल्म ’72 हूरें’ का टीज़र रिलीज़ किया गया है, तभी से फ़िल्म को लेकर किसी ना किसी तरह का विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इन‌ तमाम विवादों के बीच फ़िल्म‌ के‌ मेकर्स द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में ’72 हूरें’ की स्पेशल स्क्रीनिंग के ऐलान ने एक बार फिर से फ़िल्म को सुर्खियों में ला दिया है।

वैसे जेएनयू विश्वविद्यालय का इतिहास बताता है कि जब भी वास्तविक जीवन पर आधारित सशक्त फ़िल्मों का प्रदर्शन‌ जेएनयू परिसर में किया गया है, तब-तब किसी ना‌ किसी तरह का कोई विवाद ज़रूर खड़ा हुआ है। ऐसे में विश्वविद्यालय परिसर में ’72 हूरें’ के प्रदर्शन से मामला पहले की तरह पेचीदा साबित हो सकता है। इससे पहले वहां पर वास्तविक घटनाओं पर‌ आधारित फ़िल्मों की स्क्रीनिंग के बाद की घटनाओं ने लोगों की राय को बांटने का काम‌ किया और अक्सर ऐसी स्क्रीनिंग के बाद लोगों का आक्रामक रवैया देखने‌ को मिला है। इसके‌ सबके बावजूद ’72 हूरें’ के मेकर्स ने 04 जुलाई को जेएनयू परिसर‌ में फ़िल्म के प्रदर्शित किये जाने का ऐलान कर दिया है।
इस बीच, कश्मीर स्थित कुछ राजनीतिक दलों ने फ़िल्म में दिखाए गये आतंकवादियों को मानसिक रूप से बरगलाने के‌ दृश्यों पर गहरी आपत्ति जताई है। इन राजनीतिक दलों का कहना है कि फ़िल्म में पेश की गईं इस तरह की नकारात्मक बातों से धर्म विशेष‌ को लेकर लोगों में ग़लत संदेश जाएगा और इससे सामाजिक ताने-बाने को उलटा असर पड़ेगा। इन राजनीतिक दलों को इस बात का भय है कि फ़िल्म के माध्यम से उनके धर्म को अनुचित ढंग से बड़े पर्दे पर पेश किया जाएगा। यही वजह है कि ये सभी पार्टियां फ़िल्म‌ की रिलीज़ में अवरोध पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं।
देश के जाने-माने धार्मिक गुरू मौलाना साजिद राशिद ने फ़िल्म‌ ’72 हूरें’ पर अपनी आपत्ति उठाते हुए उसपर धार्मिक सीख का ग़लत ढंग से चित्रण करने का इल्ज़ाम लगाया है और फ़िल्म के ज़रिए करोड़ों लोगों आस्था को ठेस पहुंचाने की बात कही है। लेकिन ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि उन्होंने ’72 हूरें’ से जुड़ी एक परिचर्चा के दौरान इस बात को क़बूल किया कीबमर्दों को आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बदले जन्नत में 72 हूरों का सपना दिखाया जाता हैं जहां उन्हें औरतों के साथ अय्याशी करने का पूरा इंतज़ाम होने की बात भी कहीं जाती है।
जेएनयू में फ़िल्म ’72 हूरें’ की स्पेशल स्क्रीनिंग के संदर्भ में मेकर्स का कहना है कि फ़िल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग कश्मीरी मुसलमानों व अन्य छात्रों के लिए एक ऐसा सुनहरा मौका है जो फ़िल्म में‌ दिखाई गईं आतंकवादी घटनाओं की सच्चाइयों को लेकर उन्हें ख़ुद को अभिव्यक्त करने का अच्छा अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले‌ हुए विवादों के विपरीत फ़िल्म की‌ जल्द होने जा रही स्क्रिनिंग को आतंकवाद जैसे गंभीर मसले को खुले तौर पर‌ संवाद का‌ एक‌ बेहतरीन ज़रिया समझा जाना चाहिए और मामले‌ को संजीदा ढंग से समझने‌ की कोशिश‌ की होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि ’72 हूरें’ 7 जुलाई, 2023 को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाएगी। फ़िल्म का निर्देशन‌ राष्ट्रीय पुरस्कार‌ प्राप्त निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहान ने‌ किया है।फ़िल्म का निर्माण गुलाब सिंह तंवर, किरण डागर, अनिरुद्ध तंवर ने साझा रूप से किया है तो वहीं अशोक पंडित फ़िल्म के को-प्रोड्यूसर हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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