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दो दिवसीय साहित्य संगम “गंगा किनारे ग़ज़ल पुकारे” का भव्य शुभारंभ

पटना। पाटलिपुत्र की धरती पर थॉट्स एन इंक तथा बंधु एंटरटेनमेंट के संयुक्त तत्वावधान में बहुप्रतीक्षित दो दिवसीय साहित्य संगम “गंगा किनारे ग़ज़ल पुकारे” का भव्य शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में बिहार एवं देश के अन्य राज्यों से लगभग 100 से अधिक शायर शामिल हो रहे हैं। मशहूर शायर एवं अफसानानिगार क़ासिम खुर्शीद की अध्यक्षता में कार्यक्रम का उद्घाटन उद्योग विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार, शिक्षाविद ममता मेहरोत्रा, जीएसटी के अपर आयुक्त असलम हसन तथा जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि दिलीप कुमार ने कहा कि गंगोत्री से चलकर गंगासागर तक बहने वाली गंगा सिर्फ नदी नहीं है, बल्कि हमारी मां है जिनके आंचल तले पूरे देश का सांस्कृतिक साहित्यिक विकास हुआ है। स्वागत भाषण में कार्यक्रम के संयोजक समीर परिमल ने पाटलिपुत्र की ऐतिहासिक धरती पर शायरों और अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें दौलत या शोहरत की बजाय मुहब्बत की चाहत है। उन्होंने कहा कि

“ये मुहब्बत सभी के हिस्से में
सर पटकते रहो, नहीं आती”
अपने अध्यक्षीय संबोधन में क़ासिम खुर्शीद ने इस अदभुत पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम आज की ज़रूरत बन चुके हैं और यह एक इतिहास बनाया जा रहा है। सभी अतिथियों ने अपने संबोधन में गंगा की सांस्कृतिक साहित्यिक परंपरा का जिक्र करते हुए कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की।
अगले सत्र में मध्यप्रदेश से आए युवा शायर सुभाष पाठक ज़िया के ग़ज़ल संग्रह “तुम्हीं से ज़िया है” तथा मुजफ्फरपुर से आईं डॉ. आरती के ग़ज़ल संग्रह “साथ रखना है” पर चर्चा आयोजित की गई जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. क़ासिम खुर्शीद और हिना रिज़वी ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम परिचर्चा का संचालन श्वेता ग़ज़ल और प्रेरणा प्रताप ने किया।
सायंकाल में ग़ज़ल गायकी के कार्यक्रम “शाम-ए-ग़ज़ल” में प्रसिद्ध गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत एवं पंडित अभिषेक मिश्रा की सुमधुर गायिकी ने महफ़िल में चार चांद लगा दिए। उसके बाद राज्य के बाहर से पधारे शायरों का मुशायरा “महफ़िल – ए – शायरी” देर रात तक चलता रहा। दूसरे दिन दोपहर 11 बजे से पुनः मुशायरे का कार्यक्रम प्रारंभ होगा।
इस अवसर पर हिंदुस्तान के जाने माने पत्रकार शायर प्रताप सोमवंशी, आसिफ़ आज़मी, प्रो जावेद हयात,अभिषेक शंकर, अनुराग समरूप,पियूष श्रीवास्तव, अविनाश बंधु, वंदना सिन्हा, ज्योति दास, अदिति सिन्हा, कमलनयन श्रीवास्तव, नसीम अख्तर, तलत परवीन, सिमरन राज, प्रवीण परिमल, सरोज झा, अंकिता सिन्हा, अक्स समस्तीपुरी आदि मौजूद थे।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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