नये साल पर ‘बेवफा सनम’ हुआ मौसम !
नव वर्ष 2012 के पहले ही दिन तापमान में भारी गिरावट और हल्की बूंदा-बांदी के बीच मौसम ने लोगों के जश्न के उत्साह को कम कर दिया। राजधानी पटना में पिछले एक सप्ताह से निकली गुनगुनी धूप ने सभी को उत्साहित कर दिया था और विभिन्न तरह से नये साल की तैयारियां चल रही थीं। चारों तरफ पुलिस और प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था थी ताकि आम लोगों की सुरक्षा बनी रहे। लेकिन शहर की सड़कों , बाजारों और पार्कों में दिन-भर सन्नाटा पसरा रहा और प्रशासन चैन की सांस लेता रहा।
पहली जनवरी, रविवार की छुट्टी एवं गुनगुनी धूप इस कल्पना पर ‘राज्यसभा में लोकपाल पर आधी रात का धोखा’ के तर्ज पर मौसम ने भी पलटी मारी। अमीरों की पार्टी तो 31 दिसंबर की रात से ही परवान चढ़ चुकी थी। उन्हें तो क्लबों और बड़े बड़े होटलों एवं रेस्टोरेंट में अपनी मस्ती के जश्न में मौसम के दखल का अंदाजा भी नहीं था तथा इस दखल से कोई फर्क भी शायद नहीं पड़ता। बदले मौसम को अनुभव किया उन फुटपाथी लोगों ने जो बेखबर थे नये साल के जश्न से तथा सारी रात गुजारी पुराने और बेकार टायरों की घुटन भरे धुयें की आग के बीच ।
सुबह में रंग बदले इस मौसम की मार तो मध्यम वर्गीय परिवार एवं गरीबों पर भारी पड़ी। दिन भर पड़ती फुहारों ने बच्चों को काफी निराश किया, जिन्हें नववर्ष के आगमन के पहले दिन अपने परिजनों के साथ पार्कों में खेलना एवं सारे दिन मस्ती करना था क्योंकि अगले दिन से पीठ पर भारी बस्तों का बोझ और स्कूल उनका इंतजार कर रहा था। गृहणियाँ, इनके भी मंसूबों पर पानी फेरा इस बेवफा मौसम ने। एक दिन के आराम की बजाय उनका काम रोज मर्रा के दिनों से भी अधिक रहा। पति, बच्चों का बारिश की बजह से घर में दुबके रहना, पर पहली जनवरी का बहाना और खाने की एक लंबी फेहरिस्त।
इस बदले मौसम की बेवफाई ने सर्वाधिक तकलीफ बढ़ायी गरीब एवं छोटे दुकानदारों की। मौसम के इस अचानक रुख बदलने से पूरे प्रदेश का तापमान लुढ़क गया । चूंकि पिछले एक सप्ताह से धूप अच्छी निकल रही थी इसलिये सभी की उम्मीदें नव वर्ष को लेकर बढ़ गयी थीं। ठेले ,खोमचे, समोसे एवं चाट पकौड़ों के छोटे दुकानदारों को तो मौसम के इस बदले मिजाज से जैसे सबसे ज्यादा सदमा लगा। उन छोटे दुकानदारों ने कर्ज लेकर अपनी दुकान सजाने के लिये आवश्यकता से अधिक सामग्री तैयार कर ली थी । जिसकी बिक्री शर्तिया होती यदि मौसम साथ देता । बिगड़े मौसम ने लोगों को घर से न निकलने पर मजबूर किया और इन छोटे दुकानदारों की तो अपनी पूंजी भी नहीं निकल सकी। चूंकि चाट-पकौड़े , समोसे एवं गोलगप्पों को स्टोर नहीं किया जा सकता इसलिये इनकी तकलीफ देखते एवं समझते बनती थी । पूरा दिन वे इस उम्मीद में अपनी दुकान सजाये रहे कि शायद आधे दिन के बाद मौसम खुल जाये पर बेवफा मौसम उनपर मेहरबान न हुआ।
इन सब के बावजूद नए साल के जश्न में युवा झूमते और गाते रहे- बरसात के मौसम में मैं घर से निकल आया , बोतल भी उठा लाया…। रेस्टोरेंट , सिनेमा हॉल , तारामंडल , म्यूजियम जैसी बंद जगहें पूरे समय गुलजार रहीं।
2012 का आगाज़ जैसा भी रहा हो यह साल अच्छा रहेगा किउकी पिछला बुरा रहा था. इस साल लोकपाल भी मिलेगा कुछ नए मुख्या मंत्री भी अगर सब ठीक रहा तो एक नया प्रधान मंत्री भी रविवार से शुरू हुआ यह साल बहुत काम कर जायेगा एसी उम्मीद की जा सकती है बिहार के लिए भी यह साल अच्छा है
naye sal ka
jordar swagat
fika ananda.
end spasta nahi hai.