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नरसिंहपुर में लिंगानुपात की स्थिति बेहद खराब

अक्षय नेमा मेख, तेवरऑनलाईन

नरसिंहपुर। जिले में लिंगानुपात की स्थिति बेहद खराब है। गिरते लिंगानुपात के आंकड़े बताते है कि प्रति एक हजार बच्चों पर 917 बच्चियां है। अर्थात बच्चों की तुलना में बच्चियों की संख्या 83 कम है। हालात यह है कि गिरते लिंगानुपात के कारण, डॉक्टरों को भी समझ नहीं आ रहे है। प्राय: गिरते लिंगानुपात का कारण सोनोग्राफी सेंटरों में गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व तकनीकी उपयोग से यह जाना जाता है कि गर्भ में बच्चा है या बच्ची। लेकिन इस तकनीक के दुरूपयोग के निरीक्षण के लिये बनी डॉक्टरों की टीम को निरीक्षण करने के दौरान कहीं पर कोई खास गड़बड़ी नहीं मिल सकी है। तो प्रश्र यह उठता है कि निरंतर गिरते लिंगानुपात के लिये अन्य कोई और वजहें जिम्मेदार तो नहीं? इस विषय पर जब डॉक्टरों से जानना चाहा तो अन्य कोई वजहों को उतनी खास तवज्जों नहीं दी गई। बताया गया कि इसके लिये प्रभावी कारण महज सोनोग्राफी तकनीक है। लेकिन कुछ अन्य डॉक्टर गर्भपात के लिये उपयोग होने वाली दवाओं को भी कारण बता रहे है।

नई योजना की शुरूआत-

प्रदेश के हरदा जिले में लिंगानुपात के लिये एक प्रभावी कदम उठाया गया है। वहां पर प्रशासन ने गर्भ समापन के लिए मेडिकल स्टोर्स से बेची जा रहीं गर्भपात की दवाइयों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं। हरदा सीएमएचओ डॉ जेएस अवास्या से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि गिरते लिंगानुपात के लिये कहीं न कहीं गर्भपात की दवायें भी जिम्मेदार है। इनपर प्रतिबंध लगना चाहिये। यदि कोई दम्पति बच्चें नहीं चाहते तो इसके लिये शासन ने जिला अस्पताल खोल रखी है। आप वहां जाकर सेवायें लें सकतें है। यदि आप गर्भपात की दवायें लें रहे है तो निश्चित ही गर्भ में बेटी को मारने का षडयंत्र रचा जा रहा है।

जिले में क्यों नहीं बनती कोई योजना-

हरदा जिले की तरह नरसिंहपुर में भी गिरते लिंगानुपात को रोकने की पहल की जानी चाहिये। इसके लिये आवश्यक है कि यदि नरसिंहपुर जिला प्रशासन, हरदा जिले की इस योजना को प्रभावी मानता है तो उस पर ही अमल किया जाये अन्यथा अन्य कोई ऐसी योजना का क्रियान्वयन किया जाये जो गिरते लिंगानुपात रोकने के लिये प्रभावी साबित हो सके।

इनका कहना है-

यह सुझाव अच्छा है, इस पर मैं बात करता हूं। यदि यह कार्य प्रभावी साबित हुआ तो इसे अमल में लाया जायेगा।

नरेश पाल, कलेक्टर नरसिंहपुर

हम यह अमल में नहीं ला सकते क्योंकि खुद सरकार ही गर्भपात की दवायें उपलब्ध करवा रही है।

डॉ धाकड़, सीएमएचओ नरसिंहपुर

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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