पी के शाही को कोई करिश्मा ही जीत दिला सकती है
विनायक विजेता, वरिष्ठ पत्रकार/
कोई करिश्मा ही जीता सकता है जदयू प्रत्याशी पी के शाही को
चार विधानसभा में आगे रहेंगे राजद प्रत्याशी प्रभुनाथ सिंह
इंदूभूषण के आग्रह का पडा असर, उत्साहित नहीं दिखे भूमिहार मतदाता
प्रभुनाथ की जीत राजद के लिए होगी संजीवनी साबित
महाराजगंज लोकसभा का उपचुनाव तो संपन्न हो गया पर तमाम कयासों के बीच और मतदाताओं के रुझान से यह जाहिर हो रहा है कि यहां के जदयू प्रत्याशी पी के शाही को कोई करिश्मा ही जीत दिला सकती है। राज्य सरकार के कई मंत्रियों और जदयू और भाजपा विधायकों के महाराजगंज में लगातार कैप करने का परिणाम तो बुधवार को दोपहर बाद आ जाएगा पर संभावना है कि वहां कैंप करने वाले सत्तारुढ पक्ष के मंत्री व विधायकों को निराशा ही हाथ लगेगी। राजपूत और भूमिहार बहुल महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में रविवार को संपन्न हुए उपचुनाव में भूमिहार जाति के मतदाताओं में वह उत्साह और वोटिंग क्षमता नहीं दिखी जो पिछले चुनावों में देखी गई। इसका मुख्य कारण इस जाति के लोगों का नीतीश के प्रति नाराजगी और रणवीर सेना सुप्रीमों स्व. ब्रह्मेश्वर मुखिया के पुत्र व राष्ट्रवादी किसान संगठन के अध्यक्ष इंदूभूषण की महाराजगंज के मतदाताओं और किसानों से की गई वह अपील मानी जा रही है जिसमें उन्होंने अपने पिता के हत्यारों को बचाने वाली सरकार के उम्मीदवार के पक्ष में वोट न डालने की अपील की थी। बताया जाता है कि राष्ट्रवादी किसान संगठन के दर्जनों कार्यकर्ता चुनाव के पंद्रह दिनों पूर्व से ही इंदूभूषण की अपील के साथ महाराजगंज में डटे थे। हालांकि इंदूभूषण ने सिर्फ जदयू प्रत्याशी को वोट न देने की अपील की थी फिर भी माना जा रहा है कि सरकार से नाराज लगभग बीस प्रतिशत भूमिहार मतदाताओं ने राजद प्रत्याशी प्रभुनाथ सिंह के पक्ष में वोट डाले। मतदाताओं से मिले रुझान के अनुसार इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों में मांझी सहित चार विधान सभा क्षेत्र में राजद प्रत्याशी बहुमत में रहेंगे जबकि एक पर कांटे की टक् कर एवं दो विधानसभा क्षेत्रों में जदयू प्रत्याशी पीके शाही की स्थिति मजबूत रहेगी। हालांकि जदयू के पास साइलेंट वोट की संख्या अधिक है पर महाराजगंज में हुए मतदान की प्रतिशतता बता रही है कि अन्य चुनावों की तरह इस बार जदयू के समर्थन में साइलेंट वोट नहीं पडे। अगर मतदान का प्रतिशत 60 के आंकडे को भी छू लेता तो माना जा सकता था कि जदयू के पक्ष में वोट पडे। महाराजगंज में संपन्न हुए चुनाव के बाद वहां के चुनाव प्रभारी व जदयू के राज्यसभा सदस्य आर सी पी सिंह की बेचैनी और उनके द्वारा जदयू के चुनाव कार्यालयों की मॉनेटरिंग यह एहसास करा रहा है कि जदयू भावी परिणाम को जान चुका है इसके विपरित राजद द्वारा कहीं भी किसी गडबडी की शिकायत न करने और अपने उम्मीदवार के जीत के प्रति आसवश्त रहना भी भावी परिणाम का संकेत दे रहा है। हालांकि यह तय है कि जीत चाहे किसी की परिणाम का अंतर 50 हजार मतों के अंदर ही रह सकता है। अगर महाराजगंज उपचुनाव में राजद प्रत्याशी की जीत होती है तो राजद के लिए यह राजनीतिक संजीवनी का काम करेगा।