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पूरी कायनात का है मेरा सपना (कविता)

सपने देखना और सपने बुनना, हमें भी आता है प्रजापति …
सिर्फ तुम्हें नहीं .
फूटपाथ पर
होने का अर्थ
ये नहीं है न्याय के देवता,
की हमें सपने नहीं आते .
सपने देखना सिर्फ तुम्हारी मिल्कियत नहीं .
तिजोरियों के स्वामी .
हमें भी हासिल है हक़ .
की सपने देखू
बेहतर दुनिया और बेहतर मनुष्य होने के सपने .
उजाडो तुम बार -बार — उजाडो मेरे सपनों के
घोसलों को
कभी प्रदूषण निवारण के नाम पर
कभी शहर की खूबसूरती के नाम पर .
कभी न्याय के देवताओं के हुक्म पर
कभी विकास की गंगा बहाने के बहाने
सत्ता, शासन और तिजोरी का मिलन पर्व
भले ही मनाया जा रहा हो पूरी दुनिया में .
भले ही दुनिया का सबसे बड़ा हैवान .
सभ्यताओं का पाठ पढ़ा रहा हो हमें .
हमें सपने देखने और सपने बुनने से
नहीं रोक सकता वो
क्युं कि मेरा सपना सिर्फ अपना सपना नहीं है .
पूरी कायनात का है मेरा सपना
मनुष्यता की हिफाज़त में

………..सुनील दत्ता

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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