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प्यार-तकरार के बीच महागठबंधन !

विनायक विजेता, वरिष्ठ पत्रकार।

लालू गए दिल्ली, नीतीश बुधवार को सुबह होंगे रवाना
बुधवार को महागठबंधन का हो सकता है ऐलान
अभी तो प्यार पर सीटों के बंटवारे को लेकर हो सकता है तकरार

जनता परिवार के विलय और महागठबंधन को अंतिम रुप देने के लिए राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद मंगलवार को दिल्ली रवाना हो गए जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को सुबह दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

संभावना है कि बुधवार को दोपहर बाद सात क्षेत्रीय दलों के महागठबंधन का ऐलान दिल्ली में हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में कल होने वाली बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हो सकती हैं। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार भले ही अभी महागठबंधन बन जाए पर बिहार में इस गठबंधन में सीटों के बंटवारे में रार और तकरार तय है। नीतीश कुमार के सलाहकारों ने उन्हें यह सलाह दी है कि 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा जीती गई 91 सीटें राजद को दी जाए अगर राजद इस पर तैयार नहीं होता है तो कुछ माह पूर्व जदयू से बर्खास्त आठ विधायक सहित जीतनराम मांझी गुट के विधायकों वाले क्षेत्र की सीट भी राजद के खाते में डाल दी जाए।

गौरतलब है कि 2010  के चुनाव में जदयू 115  सीट भाजपा 91 सीट, राजद 22 , लोजपा 3 ,, सीपीआई 1, झामुमों 1 व 4 निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई थी। इनमें ओबरा से जीते एक निर्दलीय प्रत्याशी सोमप्रकाश की सदस्यता फिलवक्त रद्द है। इसके अलावा कई विधायकों ने दलबदल कर लिया।

सूत्रों के अनुसार इधर राजद का फार्मूला यह है कि उसके आधार वोट बैंक वाले क्षेत्र और जहां उसके प्रत्याशी पिछले चुनाव में नजदीकी लड़ाई में रहे वह सीट राजद को दी जाए। बताया जा रहा है कि जदयू के आठ बागी विधायक जिन्हें पार्टी से निकाल कर उनकी विधायकी खत्म कर दी गई वो आठो विधायक सहित मांझी खेमें के विधायक भी अब एनडीए की तरफ अपना रुख कर सकते हैं। सूत्र बताते है कि राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद महागठबंधन होने पर भी अपनी पार्टी के लिए कमसे कम 125  सीट से कम पर तैयार नहीं होंगे। अब देखना है कि बुधवार को दिल्ली में होने वाला प्यार बरकरार रहता है कि बाद में राजनीतिक महत्वकांक्षा के कारण यह प्यार रार और तकरार में बदलता है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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