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प्रदीप सिंह और अवधेश मिश्रा की फिल्म “जंगल” में नजर आएंगे विक्रांत सिंह राजपूत

मुंबई। अभिनेता विक्रांत सिंह राजपूत जल्द ही प्रदीप सिंह और अवधेश मिश्रा की फिल्म “जंगल” में नजर आने वाले हैं। फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड के पहाड़ों और जंगलों में में की जा रही है। फिल्म में विक्रांत सिंह राजपूत एक अहम किरदार में नजर आने वाले हैं। इसमें उनका डिफरेंट लुक दर्शकों को देखने को मिलेगा, जिसको लेकर वे काफी खुश हैं। निर्माता प्रदीप सिंह और निर्देशक अवधेश मिश्रा हैं। विक्रांत सिंह राजपूत फिलहाल उत्तराखंड की पहाड़ियों में फिल्म “जंगल” की शूटिंग कर रहे हैं। इस फिल्म में उनके साथ भोजपुरी की वारस्टाइल एक्ट्रेस ऋतु सिंह भी नजर आ रही हैं, जो उनकी बहन का किरदार कर रही हैं।जबकि उनके अपोजिट होंगी श्रुति राव।

वहीं विक्रांत सिंह राजपूत ने कहा कि फिल्म “जंगल” की पटकथा ने मुझे इस फिल्म की ओर खूब आकर्षित किया है। मुझे खुशी है कि अब मैं इस फिल्म का हिस्सा हूं और सबसे भारी बात यह है कि भोजपुरी के दिग्गज कलाकार अवधेश मिश्रा के निर्देशन में अभिनय का मौका मिल रहा है। बतौर निर्देशक, उनके साथ यह मेरी पहली फिल्म है तो थोड़ा नर्वसनेस भी लाजमी है लेकिन एक कलाकार के रूप में फिर भी मैं अपना हंड्रेड परसेंट दूंगा। फिल्म “जंगल” के कहानी के अनुसार इसके गीत और संगीत भी होने वाले हैं। फिल्म को लेकर हम सभी उत्साहित हैं और हमारी फिल्म बड़े बजट की होने वाली है जो दर्शकों का खूब मनोरंजन भी करेगी।

आपको बता दें कि वर्ल्ड वाइड प्रोडक्शन की प्रदीप सिंह कृत इस फिल्म में विक्रांत सिंह राजपूत, अवधेश मिश्रा, ऋतु सिंह,श्रुति राव, केके गोस्वामी, अनीता रावत, बालेश्वर, श्रुति, राधा सिंह,महेश आचार्य,हीरा यादव,रोहित सिंह मटरू आदि मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म के निर्माता प्रदीप सिंह और प्रतीक सिंह हैं। निर्देशक अवधेश मिश्रा हैं।फिल्म के गीतकार और संगीतकार अमन श्लोक हैं। पीआरओ रंजन सिन्हा हैं। डीओपी जगमिंदर सिंह जग्गी हैं।फ़िल्म का निर्माण वर्ल्ड वाइड प्रोडक्शन के बैनर तले किया जा रहा है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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