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फेफड़े में चला गया था लोहे का नट, पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल पटना के डॉक्टरों ने बचाई जान

•दूरबीन से लोहे का नट को निकालकर बच्चे को किया स्वस्थ
पटना। पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने नौ साल के एक बच्चे के फेफड़े की गंभीर समस्या को बिना ऑपरेशन के ठीक कर दिखाया। दरअसल खेल-खेल में मुबारकपुर पटना के विक्की कुमार के मुंह में लोहे का नट चला गया था। यह लोहे का नट मुंह के रास्ते खाने की नली में जाने की जगह फेफड़े में चला गया। इससे उसका फेफड़ा सिकुड़ गया। उसकी सांस की नली जाम हो गई। उसे सांस लेने में दिक्कतें आने लगी। इस कारण कई दिनों से वह बच्चा कष्ट में रहा। वह बोल नहीं पाता था, सिर्फ इशारों में बता पाता था कि उसके सीने में दर्द हो रही है। कई जगह इलाज करने के बाद भी परेशानी दूर नहीं हुई तो उसके परिजन उसे लेकर पारस अस्पताल पहुंचे। पारस अस्पताल में जब उसकी जांच की गई तो पता चला कि ‘फॉरेन बॉडी’ है, यानी कि उसके फेफड़े के अंदर कोई चीज चली गई है। दूरबीन से यह पता चला कि यह लोहे का नट है।
इसके बाद पारस अस्पताल के पल्मोनॉलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश सिन्हा और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अभिनीत लाल के नेतृत्व में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर टीम, डॉ. संजय कुमार राय (आईसीयू इनचार्ज) की देखरेख में इसे दूरबीन से ही निकालने का प्रयास किया। काफी मशक्कत के बाद इस लोहे के नट को निकाल लिया गया। इसके लिए डॉक्टरों ने ऑपरेशन नहीं किया। इस इलाज में एक दिन का समय लगा। बच्चे के सफल इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। अब बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है। उसकी सारी परेशानियां खत्म हो गई हैं। ठीक इसी प्रकार एक 40 वर्षीय व्यक्ति के साथ भी ऐसा ही घटना घटी वह गलती से बोतल का धक्कन निगल गया था उसे भी इसी विधि से निकाला गया। बच्चा हो या जवान गलती किसी से भी हो सकती है हमेशा सर्तक रहें।

पारस अस्पताल के बारे में
पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना बिहार और झारखंड का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है। 350 बिस्तरों वाले पारस एचएमआरआई अस्पताल में एक ही स्थान पर सभी चिकित्सा सुविधाएं हैं। हमारे पास एक आपातकालीन सुविधा, तृतीयक और चतुर्धातुक देखभाल, उच्च योग्य और अनुभवी डॉक्टरों के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र है। पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए प्रसिद्ध है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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