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बिहार में बीज नीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं : प्रेम कुमार

नई दिल्ली, तेवरऑनलान। नई दिल्ली में सीआईआई उतरी क्षेत्र की ओर से सतत चावल उत्पादन के लिए बीज प्रौद्यौगिकी पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में चावल की उत्पादकता की वृद्धि, स्थिरता और लाभ पर बल दिया गया। इस सेमिनार में भारत सरकार के माननीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और बिहार सरकार के माननीय कृषि मंत्री प्रेम कुमार समेत कई अधिकारी मौजूद रहें। भारत सरकार के माननीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने इस सेमिनार में कहा कि हमें कृषि को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। इससे देश में युवाओं का आर्कषण भी कृषि की ओर बढ़ेगा और वह आजीविका के तौर पर कृषि को अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

वहीं बिहार सरकार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में चावल उत्पादन के लिए बीज वितरण के बड़े अवसर मौजूद हैं। हम राज्य बीज नीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। यह निजी कंपनियों को पीपीपी मॉडल के माध्यम से प्रशासनिक और वित्तीय सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है। उन्होंने आगे कहा कि प्रतिकुल जलवायु परिस्थितियों में चावल के फसल के उत्पादन में विविधता लाने की जरुरत है। प्रेम कुमार ने बताया कि बिहार सरकार 65000 क्विटंल बीज की आपूर्ति करने में सक्षम है। शेष बीज की आपूर्ति निजी क्षेत्र के माध्यम से प्रबंधित की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार सरकार गंगा के डेल्टा वाले मैदानी इलाकों में जीरो टिल सीड ड्रिल मशीन के माध्यम से बीज बोने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सेमिनार में सीआईआई उतरी क्षेत्र के सह अध्यक्ष और टेस्ट्रीज डेयरी प्राइवेट लिमिटेड क्षेत्रिए समिति के चेयरमैन अतुल मेहरा ने कहा कि वैश्विक कृषि में भारत की विश्व रैंकिंग में बेहतर बनाने के लिए किसानों को जागरुक और प्रशिक्षण प्रदान करने की जरूरत है।

इस अवसर पर फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया और राईस मॉडलक्रॉप ग्रुप लीड के निदेशक अजय राणा ने कहा कि चावल की फसल भारत में कृषि योग्य भूमि के लगभग एक चौथायी भाग में उगाई जाती है। लेकिन उत्पादकता के मामले में हम काफी पीछे है। हाईब्रीड चावलए उच्च उपज वाली किस्मों की बीज को अपनाने से भारत चावल उत्पादकता में वृद्धि कर सकता है। वहीं ग्लोबल एग्री सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ए.के शर्मा ने कहा कि भारत को बेहतर बीज प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत है। इससे देश वैश्विक खाद्य उत्पादन में शिखर पर अपनी जगह बना सकता है। इस सेमिनार में कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों के शिक्षाविदों और कृषि उद्योग से जुड़े 120 सदस्यों ने हिस्सा लिया।

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