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बेटियों को लेकर दिल व दिमाग में बदलाव की जरुरत : पूजा मारवाह

बाल अधिकार पर काम करने वाला संस्था चाइल्ड राइट्स एडं यू ‘क्राई’ ने देश में लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को दूर करने की अपील करते हुये बेटियों को बेटों के बराबर की दर्जा देने की वकालत की है।

 देश में मनाये जा रहे बालिका दिवस के मद्देनजर ग्रीटिंग कार्ड बनाने वाली कंपनी आर्चीज ने लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को दूर करने वाले संदेश वाले कार्ड के जरिये लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से क्राई के साथ भागीदारी की है। इस भागीदारी के मौके पर क्राई की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूजा मारवाह ने कहा कि “देश में बेटियों को लेकर दिल और दिमाग दोनों स्तर पर बदलाव लाने की जरुरत है। बेटियों को बेटे की तरह शिक्षा के साथ ही बराबरी का अधिकार दिये जाने की जरुरत है।

 उन्होंने कहा कि “समाज में जागरूकता आने के बावजूद अब भी लोग बेटी नहीं बेटे चाहते हैं जबकि क्राई के अध्ययनों में यह साफ् हुआ है कि लडकियां व्यक्तिगत और सामूहिक रूप में समाज की पुरानी परंपराओं को तोड़कर आगे बढ़ रही हैं और भेदभाव को स्वीकार नहीं कर रही हैं। वे मंजिल हासिल करने की दिशा में बढ़ने लगी हैं।

 इस मौके पर आर्चीज के प्रबंध निदेशक अनिल मूलचंदानी ने कहा कि “लड़कियों की स्थिति के मद्देनजर बालिका दिवस पर उनके प्रति प्रेम एवं सद्भाव जताने की जरुरत है.” उन्होंने बताया कि” उनके साथियों ने ऐसे ग्रीटिंग कार्ड बनाये हैं जिनके जरिए कार्ड भेजने वाले और पाने वाले दोनों देश में लड़कियों की वास्तविक स्थिति को समझ सकेंगें.”

 सुश्री मारवाह ने बताया कि “उनकी संस्था देश के 13 हजार गांवों में लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार देने का अभियान शुरू किया है। इसके तहत कन्या भ्रूण हत्या, बाल श्रम, बाल दुर्व्यवहार और बाल विवाह के प्रति लोगों में जागरूकता लायी जा रही है।” क्राई मानता है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए नीतिनिर्धारकों और नीतियों को लागू करने वाली एजेंसियों को भी इस भेदभाव को दूर करने के प्रति कटिबद्धता जतानी होगी।

शिरीष खरे

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय, भोपाल से निकलने के बाद जनता से जुड़े मुद्दे उठाना पत्रकारीय शगल रहा है। शुरुआत के चार साल विभिन्न डाक्यूमेंट्री फिल्म आरगेनाइजेशन में शोध और लेखन के साथ-साथ मीडिया फेलोसिप। उसके बाद के दो साल "नर्मदा बचाओ आन्दोलन, बडवानी" से जुड़े रहे। सामाजिक मुद्दों को सीखने और जीने का सिलसिला जारी है। फिलहाल ''चाइल्ड राईट्स एंड यू, मुंबई'' के ''संचार विभाग'' से जुड़कर सामाजिक मुद्दों को जीने और समझने का सिलसिला जारी है।

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