भारतीय रेल कोई लाभ कमाने वाला व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं है: CPI(M)
पटना।सीपीआई (एम) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके रेलवे का निजीकरण,खासकर यात्री गाड़ियों को चलाने की जिम्मेदारी,निजी निवेशकों के हाथों सुपूर्द करने के निर्णय का कड़ा विरोध किया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि पहली बार स्वतंत्र भारत में इस तरह की घटना घट रही है। सदियों से बिछाये गये रेलवे संजाल एवं उसके लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाओं का उपयोग निजी क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां गाड़ियां चलायेंगी और भारी मुनाफा कमायेंगी। भारतीय रेलवे पूरे देश को जोड़ने एवं करोड़ों लोगों को सार्वजनिक परिवहन मुहैय्या करने वाला महत्त्वपूर्ण संजाल है। करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी रेलवे के साथ जुड़ी हुई है। इस तरह का निजीकरण भारत के आत्मनिर्भरता के आधार को ही नकारता है। इस कार्रवाई से रोजगार सृजन होगा जैसे दावों के विपरीत,अतीत के अनुभवों से पता चलता है कि निजीकरण से बड़े पैमाने पर रोजगार कम हो जाते हैं और रेलवे के कर्मचारियों के लिए असुरक्षा पैदा करते हैं।
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री अन्तर्राष्ट्रीय अनुभवों से कुछ सीखना नहीं चाहते हैं। कैसे सार्वजनिक परिवहन के निजीकरण ने आमजनता पर कितनी अभूतपूर्व कठिनाईयों
को थोपने का काम किया। भारतीय रेल एक सार्वजनिक सेवा है,यह कोई लाभ कमाने वाला व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं है। रेलवे के इस सार्वजनिक चरित्र को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। यह निर्णय उस समय आया है जब पूरा देश और आम जनता महामारी से लड़ने के प्रयासों के बीच है। निजी स्वास्थ्य सेवा ने किस तरह विषाणु से लड़ने के प्रयासों को बाधित किया है,इसे हमने वैश्विक और देश के स्तर पर देखा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने की जरुरत है न कि निजीकरण के जरिए कमजोर करने की सीपीआईएम,इस निर्णय को ख़ारिज करने की मांग करती है।