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भोजपुरिया दर्शकों को खूबसूरत तोहफा है फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आऊंगा’

रंजन सिन्हा

फेमस म्‍यूजिक डायरेक्‍टर से निर्देशन की क्षेत्र में आए राजनीश मिश्रा ‘मेंहदी लगा के रखना’ की अपार सफलता के बाद अब भोजपुरिया कल्‍चर की सुंगध को फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ में बिखरने को तैयार हैं। इंडिया ई-कॉमर्स लिमिटेड के बैनर तले निर्मित इस फिल्‍म के लेखक और संगीतकार खुद रजनीश मिश्रा ही हैं। यह फिल्म भोजपुरिया दर्शकों को इस बार दशहारे का खूबसूरत तोहफा होगा, ऐसा रजनीश मिश्रा का मनना है। वहीं, फिल्‍म के प्रोड्यूसर अनिल काबड़ा और प्रदीप सिंह भी ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ को लेकर काफी उत्‍साहित हैं।

फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ को लेकर रजनीश कहते हैं कि असल भोजपुरिया सामाजिक और संस्‍कृति के समन्‍वय पर लिखी इस फिल्‍म की पटकथा हमारे दिल के करीब है। सभी कलाकारों का फिल्‍म से गहरा लगाव है, जिस वजह से यह फिल्‍म और भी निखर सामने आई है। इसमें प्‍यार भी है। त‍करार भी है। इंकार भी है। इजहार भी है। मार – धार भी है। कहानी की बुनावट ऐसी है कि फिल्‍म अनाउंसमेंट के बाद से ही लोगों ने इसके लिए अपनी पलकें बिछाये रखी हैं।

निर्माता प्रदीप सिंह ने बताया कि फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ में भोजपुरी माटी के उन रंगों को लेकर तैयार है, जो असल मायने में लोगों की जिंदगी में होते हैं। रिश्‍तों के दरम्‍यां नोंक-झोंक, इमोशन और बेजोड़ कॉमेडी से लबरेज यह फिल्‍म लोगों को इतना हंसायेगी कि पेट में गुदगुदी होगी। तो कुछ सिक्‍वेंस में रोना भी आएगा और एक्‍शन ऐसी की आपकी आह निकल जाएगी। उन्‍होंने कहा कि सबों ने इस फिल्‍म को लेकर काफी मेहनत की है और उन्‍ह‍ें उम्‍मीद भी है कि फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ को दर्शकों का भी भरपूर प्‍यार मिलेगा।

बता दें कि फिल्‍म में एक बार फिर ‘मेंहदी लगा के रखना’ की हिट जोड़ी खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी नजर आएंगी। इसके अलावा अवधेश मिश्रा, संजय पांडेय, संजय महानंद, किरण यादव, सुमन झा, गोपाल राय, आनंद मोहन पांडेय, धामा वर्मा, देव सिंह, दीपक सिन्‍हा और रोहित सिंह मटरू ने भी मुख्‍य भूमिका निभाई है। फिल्‍म के प्रचारक हैं रंजन सिन्‍हा और फिल्‍म के गीतकार प्‍यारेलाल यादव, श्‍याम देहाती, पवन पांडेय और आजाद सिंह हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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