हार्ड हिट

मीना के तीन बेटों को लापता किया व दो को मारने के फिराक में है पटना के डीएम का गार्ड

अपने बच्चों के साथ इंसाफ के लिए जुझती मीना

आठ लाख रुपये का चेक मीना से झपट चुका है

सिर्फ अंधों और बहरों के लिए है सुशासन

तेवरआनलाइन, पटना

पटना के डीएम कोठी में रहने वाले एक गार्ड ने मीना देवी से उसका आठ लाख रुपये का चेक झपटने के बाद उसके तीन बेटों को लापता कर दिया है, और अब मीना देवी और उसके दो अन्य बच्चों को मौत के घाट उतारने की फिराक में है। अपने पैसों और बच्चों को वापस पाने के लिए वह अपने बचे हुये दो बच्चों के साथ डीएम कोठी के सामने ही डेरा डाले हुये है, और अंदर से इतनी डरी हुई है कि वह उन्हें बांध कर रखती है। लगभग प्रत्येक दिन मीना देवी डीएम से मिलने की कोशिश करती है, लेकिन उसे भगा दिया जाता है। निसंदेह डीएम साहब की नजर भी उस पर पड़ती है, लेकिन शायद उनके कानों में अभी तक “बिहार में सुशासन” आ चुका है, जैसे शब्द नहीं पड़े हैं, या फिर सुशासन अभी भी दूर की कौड़ी है, या फिर सुशासन शब्द सिर्फ अंधों और बहरों के लिए है, जिन्हें न तो कुछ दिखाई देता है और न ही सुनाई देता है।

राजधानी पटना के डीम कोठी का एक गार्ड एक महिला से रुपये झपट लेता है, और फिर उसके तीन बच्चों को भी लापता कर देता है, और फिर उसके अन्य बच्चों को भी मारने पर उतारू हो जाता है, और डीएम साहब कोर्ट-पैन्ट झाड़कर बड़ी सहजता से अपना काम करते हुये नजर आते हैं, क्या ऐसा ही होता है सुशासन में?         

कभी मीना देवी पांच बच्चों की मां थी और पति विजय चौधरी भी साथ ही थे, लेकिन आज मीना के पास कुछ भी नहीं है, सिवाय दो बच्चों के रुपा और सूरज। सूरज आठ साल का है। मीना, सूरज को कभी अकेला नहीं छोड़ती है। जब शौच को जाती है तब भी अपने साथ ही ले जाती है, क्योंकि इसके पहले उनके तीन बच्चे विष्णु, जिष्णु और चंदू को पुलिस ले गयी। कहां ले गयी ? वे कब आयेंगे? वे किस हाल में है? किसी को नहीं मालूम, सिवाय पुलिस वालों के जो डीएम कोठी में हैं। मीना अपने बच्चों का हाल जानने के लिए बराबर डीएम कोठी के चक्कर लगाती है।

मीना देवी बताती है कि उनके बच्चों को डीएम कोठी में ही रहने वाला चौधरी नाम का गार्ड पुलिस ले गया है। चौधरी ने मीना देवी का पैसा और सामान भी छीना है। यह मामूली रकम नहीं है, यह मीना देवी की कमाई का पैसा था, जो लगभग आठ लाख रुपया था। अब मीना के पास कुछ भी नहीं है। वह न्याय मांगने के लिए डीएम साहब से हर रोज मिलने का प्रयास करती है। उनसे मिलने के लिए ही मीना डीएम कार्यालय के बाहर पार्किंग में रहती है, खुले आसमान के नीचे। कई बार तो डीएम साहब का ध्यान अपनी समस्या की ओर खींचने के लिए उनके कार के नीचे तक आ चुकी है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

मीना, बिहार के मसौढ़ी की रहने वाली है। मीना का ताल्लुक भी अच्छे घर से है। इसके पिता राजेन्द्र चौधरी, पुनपुन हाई स्कूल के प्रधानाचार्य हुआ करते थे। लेकिन वे मीना की शादी तक जिंदा नहीं रह सके। पिता के गैरहाजिरी में उसके मामा ने मीना की शादी केरल के मालमपुरम, गांव पोखारी के विजय चौधरी से कर दी। विजय चौधरी एक बिजनेस मैन था, जो मुंबई में बिजनेस करता था। शादी के बाद मीना भी मुंबई अपने पति के पास चली गयी। बाद में, उसे लॉटरी लगी, जिससे उसे काफी धन प्राप्त हुआ। इस धन के आने के बाद उसका दुर्दिन शुरु हो गया। विजय चौधरी को अय्याशी का शौक लग गया। वह मुंबई के डांस बार में जाने लगा। मीना और विजय के बीच झगड़े शुरु हो गये। लेकिन विजय पर इसका कोई असर नहीं हुआ। मीना को लगा जैसे विजय उसका सारा धन अय्याशी में ही उड़ा देगा। अब तक विजय का धंधा भी डूब चुका था। विजय अब तक कई लड़कियों के संपर्क में आ चुका था। बाद में पता चला कि उसने दूसरी शादी भी कर ली है। मीना, अपने बच्चो के भविष्य को देखते हुए बचा-खुचा पैसा लेकर अपनी मौसी के पास वापस पटना चली आयी। मीना की मौसी, पटना सिटी में रहती है। लेकिन मौसी की नजर भी मीना के पैसे पर जा लगी। एक रात मौसी ने मीना को उसके सामान के साथ घर से बाहर निकाल दिया। अकेली औरत पांच बच्चों के साथ पटना सिटी से निकल कहां जाती? मीना कुछ समझ पाती इसके पहले ही कुछ पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया। ठेला पर सामान लादे वह गांधी मैदान थाने गयी। कम पढ़ी-लिखी होने के कारण अपनी बातों को स्पष्ट रुप से नहीं रख पायी। यहां से उसे रिमांड होम में भेज दिया गया। रिमांड होम में अपराध साबित नहीं होने के कारण कुछ दिनों में छोड़ दिया गया। लेकिन अब तक उसका सारा सामान लूट चुका था। लेकिन अब भी उसके पास उसके बच्चे और लगभग आठ लाख रुपये का चेक था। वह न्याय की गुहार लगाने के लिए डीएम साहब के पास उनकी कोठी पर रात में ही चली गयी। वह पुलिस थाने से गायब अपना सारा सामान वापस चाहती थी। उस समय पटना के डीएम बी राजिन्दर हुआ करते थे। लेकिन यहां आना मीना के लिए एक और गलत कदम साबित हुआ।
मीना बताती है कि डीएम साहब के यहां रहने वाले कोई चौधरी नामक सिपाही ने उससे चेक और अन्य कागज भी छीन लिया। डीएम साहब से मिलने तक नहीं दिया। मीना के पास अब कुछ नहीं था। वह लगातार डीएम साहब एवं अन्य पदाधिकारियों से मिलकर अपने लिए न्याय मांगती रही, लेकिन कुछ नहीं मिला।

उलटे एक रात डीएम कार्यालय के बाहर सोते हुए बच्चों में से तीन को पुलिस उठाकर ले गयी। कहां ले गयी यह आज तक पता नहीं चल सका है। कहां है मीना देवी के तीन बच्चे ? क्या डीएम कोठी के गार्डों ने महज आठ लाख रुपये के लोभ में आकर तीनों बच्चों को मार डाला?  

मीना स्पष्ट रूप से कहती है कि चौधरी अब उसे मारना चाहता है। उसने दो बार पानी में जहर मिलाने का प्रयास किया है। मीना को न्याय चाहिए। वह अपने बच्चों को वापस पाना चाहती है, लेकिन कैसे उसे नहीं मालूम। किसी को नहीं मालूम. कलेक्टेरियट में मीना को जानने वाली एक महिला कहती है कि ”बाबू कइसहू एकर, मदद करि द, बेचारी पे विपत्ति के पहाड़ टूटल हई।

मीना बताती है कि जब वह डीएम साहब से  मिलने जाती है तो वह उसे पागल कहकर दूर हटा देते है। अगर सचमुच मीना पागल है तो डीएम साहब उसे पागलखाने में क्यों नहीं भरती करा देते ?

(साभार गणादेश)

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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