अन्ना के नारों से गूंज रही है दिल्ली

अन्ना तु्म संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं के नारों से दिल्ली गूंज रही है। ऐसा लग रहा है मानों आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही है। युवाओं के हौसले आसमान छू रहे हैं। हाथों में तिरंगा लहरा रहा है और सर पर गांधीवादी टोपियां जिस पर लिखा है – मैं अन्ना हूं। लड़कियों और लड़कों के गालों पर तिरंगे बने हुए हैं और उनके मुंह से निकलते भारत माता की जय शब्द एक अलग ही समां बांध रहे हैं।

दिल्ली के सारे इलाकों और जगहों पर लोग टोलियों में नारे लगाते हिये घूम रहे हैं। युवक तिरंगा लहराते हुए मोटर साइकिल मार्च कर रहे हैं। कनॉट प्लेस मेट्रो स्टेशन के अंदर एक बड़ा हुजूम राष्ट्रवादी गानों पर सामुहिक गान कर रहे हैं और साथ ही लोगों को भ्रष्टाचार के विभिन्न रुपों से अवगत कराने की कोशिश कर रहे हैं । वे कहते हैं कि नौ दिन से अनशन पर बैठा एक 74 वर्ष का वृद्ध आदमी आज अपनी जान भी दांव पर लगा बैठा है। एक बहुत ही उंची जन – संवेदना का प्रचार – प्रसार हो रहा है। लोग सहज रुप से इस प्रक्रिया में आकर्षित हो रहे हैं।

हर जगह पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। कनॉट प्लेस मेट्रो जैसे संवेदनशील जगहों पर किसी भी कीमत पर ऐसी गोष्ठी और प्रदर्शन संभव नहीं था। पर आश्चर्य तो  इस बात का है कि सरकार और पुलिस का पूरा तंत्र चुप्पी साधे हुए है और अन्ना समर्थक आजादी के दीवानों की तरह झूम रहे हैं और नारे लगा रहे हैं। रास्तों में ऐसे कितने बुजुर्ग दिख जाऐंगे जो मैं अन्ना हूं की टोपी पहने तथा हाथ में तिरंगा लिए घूम रहे हैं। इस आंदोलन में बच्चों का उत्साह भी देखने लायक है।

अन्ना की भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई जन – चेतना को छू रही है। लोग मसूमियत के साथ शांतिपूर्वक सड़कों पर उतर पड़े हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि सच में आजादी की दूसरी लड़ाई शुरु हो गई है। इस लड़ाई के परिणाम में कितनों की सत्ता बिखरेगी और कितनी नई तश्वीरें बनेंगी……

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