शारीरिक शिक्षकों की बहाली में रिश्तेदारी निभाने में जुटे बिहार मानव संसाधन के मुख्य सचिव

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तेवरआनलाईन, पटना

सुप्रीम कोर्ट द्वारा शारीरिक शिक्षकों की भर्ती हेतु जारी आदेश को बहुत चतुराई के साथ चकमा देते हुये बिहार सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ठेंगा दिखा रहे हैं, जिसके कारण बहुत से शारीरिक शिक्षा प्राप्त कर चुके शिक्षक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के अल्पमत कबीर की खंडपीठ ने बिहार सरकार को शारीरिक शिक्षकों की भर्ती करने को कहा था, लेकिन मुख्य सचिव अंजनी कुमार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अपने तरीके से तोड़मड़ोड़ कर सिर्फ सी.पी.एड. (सर्टिफिकेट इन फिजिकल एजुकेशन, एक वर्ष का प्रशिक्षण) व डी.पी.एड (डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन, एक वर्ष का प्रशिक्षण, जो ग्रेजुएशन लेवल पर होता है) को ले रहे हैं, जबकि शारीरिक प्रशिक्षण कोर्स में बी.पी.एड (एक वर्ष का प्रशिक्षण, जो ग्रेजुएशन लेवल पर होता है), बी.पी.ई (तीन वर्ष का प्रशिक्षण, जो इंटर के बाद होता है), एम.पी.एड (मास्टर आफ फिजिकल एजुकेशन, दो वर्ष का प्रशिक्षण होता है, जो एमए लेवल पर होता है), एमफिल भी आता है। ये सभी कोर्स शारीरिक प्रशिक्षण के दायरा में आते हैं और सी.पी.एड और डी.पी.एड के समतुल्य हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार कर्मचारी चयन आयोग को उन्होंने सहायक शिक्षकों की भर्ती करने को कहा था। इस संदर्भ में बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि शारीरिक शिक्षक के पद के लिए सिर्फ सी.पी.एड व डी.पी.एड की डिग्री रखने वाले शिक्षक ही आवेदन कर कर सकते हैं। अब सवाल उठता है कि शारीरिक शिक्षा के तहत आने वाली अन्य डिग्रियां जैसे बी.पी.एड, बी.पी.ई, एम.पी.एड आदि को तरजीह क्यों नहीं दी जा रही है? मुख्य सचिव अंजनी कुमार इस मामले में तानाशाह की भूमिका क्यों अपनाये हुये हैं?

यदि सूत्रों की माने तो पिछले कुछ वर्षों में बिहार सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के मुख्य सचिव अंजनी कुमार के कई रिश्तेदार सी.पी.एड. और डी.पी.एड की डिग्रियां प्राप्त कर चुके हैं, और अब उनको मौका मिला कि वह अपने रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में खींच लाये। यही कारण है कि उन्हें शारीरिक प्रशिक्षण की अन्य डिग्रियां दिखाई नहीं दे रही हैं या फिर वे इन्हें तव्वजों नहीं दे रहे हैं। अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी अपने हित में तोड़ मड़ोड़ रहे हैं।

इस संबंध में जब कुछ शारीरिक शिक्षक (बी.पी.एड) अभ्यार्थियों ने मानव संसाधन मंत्रालय बिहार सरकार के उप निदेशक प्राथमिक, आर.एस. सिंह से संपर्क किया  तो उन्होंने टका सा जवाब दिया कि हमारी जैसी मर्जी होगी हम करेंगे, आप से जो बनता है कर लीजिये। बहाली वैसे ही होगी जैसे हम चाहेंगे। उन इस तरह के उत्तर को सुनकर सभी अभ्यार्थी भौचक थे।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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