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मुंगेर में 12लोगों ने अपना नेत्र व अंगदान करने का संकल्प पत्र भरा

लालमोहन महाराज,मुंगेर
दधीचि देहदान समिति द्वारा राष्ट्रीय अंगदान दिवस के उपलक्ष्य में मुंगेर के स्थानीय जयप्रकाश उद्यान में एक शिविर लगाया गया । इस शिविर का उद्देश्य समाज के बन्धुओं को नेत्रदान एवं अंगदान करने के लिए प्रेरित करना था । इस अवसर पर इससे होने वाले लाभ को भी समझाया गया एवं यह बताया गया कि नेत्रदान के समय मृत शरीर से पूरी आँख नहीं निकाली जाती है .बल्कि आँखों की पुतली के पीछे जो थोड़ा सा लिक्विड होता है उसे ही बड़े आराम से निकाल लिया जाता है और मृत शरीर को कोई क्षति भी नहीं पहुँचती है . वहीं लिक्विड से सात से आठ आंखों से लाचार बच्चों को रोशनी दी जा सकती है । यह एक बहुत ही बड़ा समाज कल्याण का काम है .जिसे सभी मनुष्यों को ज़रूर करना चाहिए । मृत्यु के उपरांत जो पाँच महत्वपूर्ण अंग है वह भी दान कर सकते हैं .आप चाहें तो अपना पूरा शरीर भी दान कर सकते हैं , जो मानवता के कल्याण में काम आता है ।
जीते जी रक्तदान , मरणोपरांत नेत्र दान ,अंग दान कर सकते हैं.
इस अवसर पर 12 लोगों ने अपना नेत्रदान व अंगदान करने का संकल्प पत्र भी भरा है . शिविर के आयोजक ने कहा कि संकल्प पत्र भरने वालों के कारण यह शिविर काफी सफल साबित हुआ है । हम सभी समाज के लोगों यह प्रार्थना करते हैं कि सभी को इस पुण्य काम में आगे आना चाहिए । इस अवसर पर संस्था के कोषाध्यक्ष संजय जालान , डॉक्टर सुधीर कुमार ,डॉक्टर प्रकाश जी , शिवदयाल यादव , आनंद पोद्दार , रवि पोद्दार , बजरंग सर्राफ, चंदन पोद्दार ,अजीत कुमार ,शुभम आनंद एवं सूरज कुमार यादव सहित अन्य थे ।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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