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मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों पर फिल्म निर्देशित करना मेरे लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था-दिलीप गुलाटी

राजू बोहरा,
गत साप्ताह राजपाल यादव, नेत्रा रघुरमन, साधु मेहर  और राजीव वर्मा जैसे चर्चित कलाकारो की मुख्य एवं अहम किरदारों से सजी फिल्म एक नई फिल्म ’भाग्य ना जाने कोई जो प्रदर्शित हुई है, जो  हिन्दी भाषा के शेक्सपीअर कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद्र की दो बेहद मशहूर कहानियों ”कफन“ और ”निर्मला“ पर आधारित हैं। स्टेट्स एयर विजन के बैनर तले साहित्यिक कृतियों पर बनीं चर्चित फिल्म को निर्देशित किया है इंडस्टी के वरिष्ठ एवं जानेमाने निर्देशक दिलीप गुलाटी ने। डायरेक्टर दिलीप गुलाटी का नाम बॉलीवुड सिने दर्शको के लिए किसी विशेष परिचय का मोहताज नहीं है। वह पिछले करीब तीस वर्षो से अधिक समय से फिल्म निर्देशन में लगातार सक्रिय और लगभग हर सब्जेक्ट वाली फिल्मो का सफल निर्देशन चुके है।
वह पिछली बार जहा नए कलाकारो को लेकर अंडरवर्ड पर बनी अपनी फिल्म माफिया बिग बॉस को लेकर चर्चा में थे वही इस बार अपनी मुंशी प्रेमचंद्र की साहित्यिक कृतियों पर बनाये नई फिल्म भाग्या ना जाने कोई को लेकर सुखियो में है। हाल ही में एक खास बातचीत में डायरेक्टर दिलीप गुलाटी ने एक ताजा इंटरव्यू में बताया कि मुंशी प्रेमचंद्र की साहित्यिक कृतियों पर बनी उनकी यह फिल्म गत साप्ताह उत्तर भारत में रिलीज हुई है और जल्दी ही मुंबई में भी प्रदर्शित की जाएगी। फिल्म की कहानी और निर्देशन के अनुभव के विषय में पूछने पर दिलीप गुलाटी ने बताया की मुंशी प्रेमचंद्र की दोनों कहानियां आज के समाज को बहुत बड़ा संदेश दे जाती है। उस वक्त के गांव, खेत-खलिहान और मुंशी प्रेमचंद्र के रचे साहित्य कोे मैंने पूरी ईमानदारी से पर्दे पर उतारने की कोशिश की है।
कॉमेडी किरदारों के लिए पहचाने जाने वाले राजपाल यादव ने पहली बार इसमें एक गम्भीर किरदार किया है और इस फिल्म में उन्हें देखकर लगता है कि वो एक बहुत सशक्त अभिनेता हैं। कहानी शुरू होती है गांव से, जहां दो निकम्मे बाप बेटे रहते हैं। जिनका ये मानना है कि अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम, दास मलुका कह गये, सबके दाता राम३ उन्हें लगता है कि ईश्वर ने पैदा किया है तो रोटी भी जरुर देगा और अपने निकम्मेपन की वजह से उन्हें किन किन दुश्वारियों से सामना करना पड़ता है। संदेश  ये है कि इन्सान को कर्मवीर होना चाहिए तभी वो अपनी जिन्दगी को संवार सकता है। दूसरी कहानी में एक बहुत बड़े पैसे वाले वकील की बेटी है निर्मला जिसकी शादी बहुत बड़े घराने में होने वाली है लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि निर्मला की शादी एक ऐसे इन्सान के साथ होती है, जो चार बच्चों का बाप है और निर्मला की जिन्दगी सिर्फ और सिर्फ त्याग बनकर रह जाती है। संदेश ये है कि पैसे से किसी की तकदीर नहीं बदलती। मुंशी प्रेमचंद्र के इन दोनों संदेशो को हमने बड़ी खूबसूरती से एक ही फिल्म में समेटा गया है। फिल्म में स्क्रीप्टिंग, डायरेक्शन ,एडिटिंग और अभिनय कहानी के हिसाब से हर कसौटी पर खरे उतरते हैं हम, जिसमे  फिल्म की  प्रोडूसर सुशीला भाटिया हैं और राइटर पारस जायसवाल का भी पूर्ण सहयोग मिला है।
फिल्म की अधिकांश शूटिंग की उत्तर प्रदेश की खूबसूरत लोकेशन्स में की गई है क्योकि हमने फिल्म को उत्तर प्रदेश के सहयोग से बनाया है। जहा तक इस फिल्म के निर्देशन का सवाल है तो आपको बताना चाहता हूँ की साहित्यिक कृतियों पर फिल्म बनाना आसान काम होता बल्कि  चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। मैंने एक्शन प्रधान, रोमांटिक, सस्पेंश थ्रिलर, लव स्टोरी, कॉमेडी लगभग हर सब्जेक्ट की फिल्मे डायरेक्ट की है यही साहित्यिक विषय बचा था इस पर भी भाग्य ना जाने कोई जैसी एक अच्छी फिल्म डायरेक्ट करने की खुशी मुझे है। मैने अब तक जहा अधिकांश नए कलाकारों को लेकर फिल्मे की वही बॉलीवुड के बड़े नामचीन कलाकारों को को भी डायरेक्ट किया है जिनमे धर्मेंद्र जी, हेमा मालिनी जी, मिथुन दा, गिरीश कनाड़, कादर खान जी, जीवन, मदन पूरी जी, डॉ. श्रीराम लागू, शक्ति कपूर जैसे हस्तिया  शामिल है वही आज के दौर के रवि किशन, राजपाल यादव, रानी चटर्जी, राहुल रॉय आदि को भी डायरेक्ट किया है। मैने शुरू से लेकर अब तक नए कलाकारों लेकर ज्यादा बनाई है।
मेरा मानना है की फिल्मे सिर्फ बड़े स्टारों से नहीं बल्कि अच्छे सब्जेक्टो से चलती है। अगर सब्जेक्ट अच्छा नहीं तो बड़े स्टार की मौजूदगी के बावजूद फिल्मे बहुत बार पिट जाती है। इस लिए फिल्मो का ब्रांड बड़े आर्टिस्ट नहीं बल्कि सब्जेक्ट है। अपने अबतक कितनी डायरेक्टकी होगी और आपके द्वारा निर्देशित चर्चित कुछ फिल्मो के नाम पूछने पर उन्होंने बताया की अब तक मैने हिन्दी, भोजपुरी, मराठी,गुजरती, हरियाणवी, और अवधि की सहित  लगभग 67 फिल्मे डायरेक्ट की है जिनमे शहीद-ए-कारगिल, भाग्या ना जाने कोई, जोड़ी नंबर वन, बैरी भईल सजनवा  हमार, माफिया बिग बॉस, गुमनाम, छोटे नवाव बड़े नवाब, जिम्बो, सांवरिया मोहे रंग दे,आदि चर्चित प्रमुख फिल्मे है।
आपकी आगामी योजनाए क्या क्या है पूछने दिलीप गुलाटी ने बताया की जल्द ही दो-तीन नई फिल्मो पर काम चल रहा है जिनकी अधिकांश शूटिंग उत्तर प्रदेश की विभिन्न लोकेशनो पर की जाएगी।  मैने इससे पहले भी अपनी चर्चित फिल्मो भाग्या ना जाने कोई, जोड़ी नंबर वन, सांवरिया मोहे रंग दे, की शूटिंग उत्तर प्रदेश की खूबसूरत लोकेशनो पर ही शूट की है जो वह के पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देती है। उत्तर प्रदेश की अलग-अलग खूबसूरत लोकेशनो पर  करने  मुझे काफी आया।

raju bohra

लेखक पिछले 25 वर्षो से बतौर फ्रीलांसर फिल्म- टीवी पत्रकारिता कर रहे हैं और देश के सभी प्रमुख समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओ में इनके रिपोर्ट और आलेख निरंतर प्रकाशित हो रहे हैं,साथ ही देश के कई प्रमुख समाचार-पत्रिकाओं के नियमित स्तंभकार रह चुके है,पत्रकारिता के अलावा ये बतौर प्रोड्यूसर दूरदर्शन के अलग-अलग चैनल्स और ऑल इंडिया रेडियो के लिए धारावाहिकों और डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण भी कर चुके। आपके द्वारा निर्मित एक कॉमेडी धारावाहिक ''इश्क मैं लुट गए यार'' दूरदर्शन के''डी डी उर्दू चैनल'' कई बार प्रसारित हो चुका है। संपर्क - journalistrajubohra@gmail.com मोबाइल -09350824380

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