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रेपिस्टों के गले में फंदे की चाहत!
दिल्ली गैंग रैप मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में जिस तेजी के साथ सुनवाई की गई और चार आरोपियों को दोषी करार दिया गया, उससे स्पष्ट पता चलता है कि यदि सिस्टम चाह ले तो समय रहते न्याय मिल सकता है। हालांकि इस मामले में चौतरफा दबाव भी काम कर रहा था। पिछले साल 16 दिसंबर की घटना के दूसरे दिन के बाद से ही न सिर्फ दिल्ली सुगल उठी थी बल्कि पूरे देश में खलबलाहट सी मच गई थी। दोषियों की गिरफ्तारी और जल्द से जल्द सजा देने की मांग पर दिल्ली में लगातार प्रदर्शन होते रहे। मुखतलफ महिला संगठनों के साथ-साथ मीडिया ने भी दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर जेहाद छेड़ दिया था। यहां तक कि सियासी खेमों में भी इस वीभत्स घटना को लेकर तल्ख प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही थीं। पीड़िता की मौत के बाद तो पूरा मुल्क इस मसले को लेकर कमर कसे हुये था। पीड़िता के परिवार वाले भी अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करने के लिए तैयार थे। वे किसी भी कीमत पर दुष्कर्मियों को फांसी के फंदे पर झूलते हुये देखना चाहते थे। यही वजह थी कि पुलिस पर भी सबकुछ जल्द निपटाने का दबाव था और न्यायालय भी इसी दबाव के तहत ताबड़तोड़ सुनवाई करते हुये शीघ्र ही निर्णय तक पहुंचना चाहता था।
दुष्कर्म के खिलाफ जागृति
इतना तो तय है कि इस घटना के बाद दुष्कर्म के खिलाफ लेकर देश में एक जागृति आई है। पहले दुष्कर्म होने के बाद पीड़िता के घर वाले अपनी इज्जत बचाने के लिए यही कोशिश करते थे कि घटना की रिपोर्ट पुलिस में न की जाये। और पुलिस भी इस तरह के मामलों को गंभीरता से नहीं लेती थी। इस तरह की घटना की शिकायत लेकर आने वाले गरीब परिवार के लोगों को तो वह डांट कर भगा देती थी। अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। लोक लाज को छोड़कर इस तरह की घटना होने के बाद लोग न सिर्फ पुलिस के पास जा रहे हैं बल्कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए दबाव भी बना रहे हैं और जरूरत पड़ने पर मोर्चा भी निकाल रहे हैं। समाज दुष्कर्म को बर्दाश्त करने के लिए कतई तैयार नहीं है। पुलिस वाले भी पहले की अपेक्षा अब ज्यादा सतर्क नजर आते हैं। इसके बावजूद महानगरों में दुस्साहसिक तरीके से दुष्कर्म की घटनाएं लगातार हो रही हैं। पिछले दिनों मुंबई के महालक्ष्मी मिल में जिस तरह से एक महिला फोटोग्राफर की इज्जत लूटी गई, उससे इसी बात की तस्दीक होती है कि महानगरों में जरा सी असावधानी बरतने पर कोई भी लड़की भेड़ियों के चंगुल में फंस सकती है। हालांकि मुबई पुलिस ने इस प्रकरण में तेजी दिखाते हुये 36 घंटे के अंदर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया यह सिद्ध कर दिया कि दुष्कर्मी चाहे कितने भी शातिर क्यों न हों, वे कानून की गिरफ्त से बच नहीं सकते। असल बात यह है कि लोगों के दिल में भी यह ख्याल रहना चाहिए कि अपराध करने के बाद उनका बचना नामुमकिन है। उनके किये की सजा जरूर मिलेगी। यही भय समाज को सुरक्षित रख सकता है।
बेखौफ थे दुराचारी
दिल्ली गैंग रेप के तमाम आरोपी इस बात को लेकर पूरी तरह से बेखौफ थे कि उन्हें उनके किये की सजा नहीं मिलेगी। पहले पीड़िता और उसके पुरुष मित्र को झांसा देकर बस में सवार किया और फिर उसके साथ बदतमीजी पर उतर आये और जब उन दोनों ने इसका विरोध किया तो पूरी तरह से वहशी बन गये। उन लोगों ने पीड़िता के साथ न सिर्फ दुष्कर्म किया बल्कि उसे बुरी तरह से जख्मी भी कर दिया। साथ में उसके पुरुष मित्र को भी घायल कर दिया। इतना ही नहीं दुष्कर्म के बाद दोनों को चलती बस से नीचे फेंक दिया। इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने के दौरान उनके मन में एक बार भी यह ख्याल नहीं आया था कि कानून के लंबे हाथ उनके तक पहुंच सकते हैं। यदि उनके मन में कानून का खौफ होता या फिर इसकी कल्पना कर पाते कि जो कुछ वो कर रहे हैं, उसका अंजाम क्या होने वाला है तो ऐसी गलती कभी नहीं करते। कहा गया है कि सौ कानून से अच्छा वह एक कानून है, जिसके पालन की व्यवस्था मजबूती से की जाये। हालांकि गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद ही उन्हें इस बाद का अहसास हो गया था कि उन्होंने कितना बड़ा गुनाह किया है और इसकी क्या सजा हो सकती है।
दिल्ली पुलिस की सराहनीय भूमिका
किसी भी दुष्कर्म के मामले में सबसे बड़ा दुर्भाग्य होता है कि कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता और उसके परिवार वाले अमूमन टूट जाते हैं। पहले तो पुलिस कार्रवाई में ही उनका साहस जवाब देने लगता है। रहा-सहा कसर कोर्ट में वकीलों द्वारा जिरह के दौरान निकल जाता है। लेकिन दिल्ली गैंग रेप मामले में पुलिस की चुस्त कार्रवाई काबिले तारीफ है। यहां तक कि कोर्ट ने भी बेहतर काम करने के लिए दिल्ली पुलिस की तारीफ की है। इसके अलावा पीड़िता के भाई ने भी पुलिस के प्रति अपना आभार जताया है। वसंत विहार थाने के एसचएओ अनिल शर्मा को पूरा क्रेडिट देते हुये उसने कहा है कि अगर पुलिस हर केस में इतने ही अच्छे तरीके से काम करे, ऐसी ही मजबूत चार्जशीट बनाए और ऐसे ही पक्के सबूत जुटाए, तो इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह रोक लग जाएगी। पुलिस के सटीक वर्क के आधार पर ही कोर्ट को महज नौ महीने में फैसला तक पहुंचने में आसानी हुई। लेकिन इस हकीकत से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि मुल्क के मुखतलफ कोर्टों में दुष्कर्म के अधिकांश मामले वर्षों से लटके पड़े हैं। इंसाफ की आस में न जाने कितनी पीड़िताएं आज भी भटक रही हैं। जरूरत है इस दिशा में एक मुहिम छेड़ने की ताकि तमाम दुष्कर्मियों को उनके किये जी सजा मिल सके। न्याय में देर भी एक तरह से अन्याय ही है।
मृत्युदंड पर बहस
दिल्ली पुलिस ने गैंग रेप के सभी दोषियों के लिए मृत्यदंड की मांग की है। उनके लिए मृत्युदंड की मांग समाज के विभिन्न घटकों द्वारा पहले से ही की जा रही है। इसे लेकर व्यापक बहस भी छिड़ी हुई है। लड़की की मां ने तो साफ तौर पर कहा है कि तमाम दुष्कर्मियों के लिए मौत से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। जिस तरह से उनकी बेटी को तड़पाया गया उसकी कल्पना भी वह नहीं कर सकती थी। तमाम दुष्कर्मियों को मृत्यदंड देने के हक में आवाज बुलंद करने वाले लोगों का कहना है कि उनकी मौत से समाज के बीच एक सख्त संदेश जाएगा। लोग इस तरह की हरकत करने के पहले हजार बार सोचेंगे। इसके विपरित मृत्यदंड की मुखालफत करने वाले लोगों का कहना है कि मौत से तो सब कुछ खत्म हो जाता है और मृत्यदंड को किसी भी रूप में सभ्य समाज द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस तरह के अपराध के लिए व्यक्ति को उम्र कैद की सजा देनी चाहिए ताकि जिंदा रहते हुये उसे इस बात का अहसास हो कि उसने क्या गुनाह किया है।