
वैज्ञानिक स्व. डॉ. प्रभाकर राव चावरे को श्रद्धांजलि देने हेतु वर्ल्ड ह्यूमन डे मनाया गया
Raju Bohra / Special Correspondent
दिल्ली, 10 अगस्त, विश्व ह्यूमन डे के अवसर पर प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं समाजसेवी स्व. डॉ. प्रभाकर राव चावरे को कृतज्ञता के साथ स्मरण किया गया। मानव उत्पत्ति पर उनकी ‘ऑटो जेनेटिक थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन’ नामक अवधारणा ने पारंपरिक डार्विन सिद्धांत को चुनौती देते हुए विज्ञान की दुनिया को एक नई दिशा दी।
डॉ. चावरे का मानना था कि मनुष्य का विकास वानर से नहीं बल्कि अनुकूल वातावरण व आहार व्यवस्था के अनुसार स्वतः हुआ। उन्होंने इस विचार को “स्व-उत्पत्तिवादी सिद्धांत (E-7)” के रूप में प्रतिपादित किया, जो 2012 में प्रकाशित उनकी पुस्तक “साइंस फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग” में विस्तार से वर्णित है।यह पुस्तक वानर से मानव के विकास’ की धारणा का खंडन करती है और यह बताती है कि जैसे अन्य जीव स्वतः उत्पन्न हुए, वैसे ही प्रथम मानव भी भारत में स्वतः उत्पन्न हुआ। यह ‘स्व उत्पत्तिवादी सिद्धांत’ है, जिसे डॉ. प्रभाकर राब चावरे ने पहली बार प्रतिपादित किया और इसे “स्व-उत्पतिवादी सिद्धांत ई-7” के रूप में प्रस्तुत किया। इस पुस्तक में उन्होंने यह भी कहा है कि अन्य जानवरों की तरह मानव का भी विकास अनुकूल परिस्थितियों में स्वतः हुआ।
इस सिद्धांत के अनुसार, “बंदर से आदमी का विकास नहीं हुआ, बल्कि ऑटो जेनेटिक ब्योरी के तहत स्वतः आदमी का विकास हुआ। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए वे मनुष्यों को अंधविश्वास से दूर रहने की सलाह देते हैं। डॉ. प्रभाकर राव चावरे के अनुसार, “डार्विन का विकासवाद सिद्धांत अधूरा था। यदि बंदर से मानव का विकास हुआ होता, तो आज के समय में बंदर विलुप्त हो चुके होते, लेकिन आज भी हमें बंदर और चिंपांजी देखने को मिलते हैं।” प्रो.चावरे की शोध को इंडियन जर्नल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ने विशेषांक (नवंबर 2017) में प्रकाशित कर मान्यता प्रदान की गई।
डॉ. चावरे न केवल एक वैज्ञानिक थे, बल्कि एक समर्पित समाजसेवी भी रहे। उन्होंने टेक्निकल प्रोफेशनल एजुकेशन इन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से 40 वर्षों तक हजारों वंचित युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया। उनके निधन के बाद संस्था का संचालन उनके पुत्र बलवंत चावरे कर रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों ने 10 अगस्त, स्व.डॉ. चावरे की जयंती को वर्ल्ड ह्यूमन डे के रूप में मनाया गया तथा उन्हें “फादर ऑफ ह्यूमन” की उपाधि दी गई। इस अवसर पर स्व.प्रो.चावरे के वसंत कुंज,दिल्ली स्थित निवास पर परिजनों और शुभचिंतकों के साथ प्रार्थना सभा आयोजित की गई और प्रो.चावरे के जीवन के योगदान को स्मरण किया गया ।साथ ही, वैज्ञानिक समुदाय से उन्हें मरणोपरांत नोबेल पुरस्कार देने की अपील की जा रही है।