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सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के जीवन पर स्मृति कलश पुस्तक

सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के जीवन को समेटते हुये सत्येन्द्र नारायण सिन्हा स्मृति ग्रंथ समिति द्वारा एक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। इस पुस्तक में सत्येंद्र नारायण से संबंधित दुर्लभ चित्रों के संग्रह भी हैं और कई महत्वपूर्ण लोगों द्वारा उन पर लिखे गये आलेख भी। लिखने वालों में अधिकतर वे लोग हैं, जिन्हें सत्येंद्र नारायण सिन्हा के साथ रू-ब-रू होने का अवसर मिल मला था, या फिर किसी न किसी रूप से उनसे लंबे समय से जुड़े हुये थे। यही कारण है कि यह पुस्तक और भी जीवंत हो गया है। इस पुस्तक का नाम है सत्येंद्र नारायण सिन्हा, स्मृति कलश (1917-2006)।

इस पुस्तक के प्रधान संपादक डा. रामशोभित प्रसाद सिंह लिखते हैं, छोटे साहब के सामने होने और बैठने का एक अलग सुख था, अलौकिक आनंद की अनुभुति होती थी। वे हमेशा तथ्यपूर्ण, सूचनाप्रद, सारगर्भित बातें तो करते ही थे, साथ-साथ आनंददायक और मनोरंजक घटनाओं का उल्लेख कर राजनीतिक बातों की गर्माहट को हल्का कर लोगों को अपनी ओर आकर्षिक कर लेते थे। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता।

इस पुस्तक में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, बिहार के राज्यपाल देबानन्द कुंवर, दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित, लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान  समेत कई अन्य गणमान्य लोगों के शुभ संदेश हैं।

सत्येंद्र नारायण द्वारा लिखित पुस्तक “मेरी यादें, मेंरी भूलें” के कुछ अंश का जिक्र आत्मकथ्य में किया गया है, जो इस प्रकार है- ग्रामीण परिवेश एवं गांधीवादी पिता की छत्रछाया में तथा स्वतंत्रता–संग्राम के बीच ही मेरे जीवन और व्यक्तित्व का विकास हुआ। स्मृतियां एवं त्रुटियां मानव स्वभाव का अंश होती हैं। अगर मेरे जीवन में खामियां रही हों, तो इसके पीछे का कारण भी मेरी आस्थाएं एवं मूल्यों में मेरा गहरा विश्वास ही था। मैंने भरसक अपने जीवन को ईमानदारी से जीने का प्रयास किया। लिहाज, मैंने अपना जीवन अपने तरीके से जिया।

इस पुस्तक में सत्येंन्द्र नारायण सिन्हा पर लिखने वाले लोगों में श्रीमती किशोरी सिन्हा,बलराम भगत, डा. जगन्नाथ मिश्र, प्रभावती गुप्ता, प्रो. बामेश्वर सिंह,  ब्रजकिशोर सिंह, प्रभु चावला, सुरेंद्र किशोर, लक्ष्मीकांत सजल, प्रोफेसर श्याम नारायण आर्या, लाल बिहारी सिंह, डा. विनय कारक, राम उपदेश सिंह विदेह, वीरेंद्र कुमार यादव, शोभना भरतिया आदि के अतिरिक्त अन्य कई लोग शामिल हैं। पुस्तक में उनके निधन पर आये बहुत सारे शोक संदेशों को भी सम्मिलित किया गया है। कुल मिलाकर यह पुस्तक सत्येंद्र नारायण सिन्हा के जीवन को समेटने का बेहतर प्रयास है। इस पुस्तक की कीमत 1000 रुपये हैं।

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6 Comments

  1. chhote sahab ki smritiyon ko samete yah pustak unke jeevan ke vibhinna pakshon ko samajhane ka badhiya prayas hai.
    thanks.

    birendra yadav, patna
    09304170154

  2. The “Smriti Kalash”(SN SINHA) is a magnificent blend of both the political and social history of post independence Bihar(1950-1990).A prominent leader on the national stage from Bihar for decades;”Chhote Saheb” was known as a great administrator and statesman.He was loved more for his decency than for his political acumen.His life is an integral part of Bihar political cum social developements for 5 decades.As a premier youth leader of 50’s, the “defacto” Chief Minister 0f 60’s;Janata Party’s President in 70’s and the “CM Maker” in 80’s;Late S N Sinha had an illustrious unimpeccable career based on values.This book will help the current generation to understand how the founders of modern Bihar were.

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  5. Hi!
    I am looking for this book “Meri Yadein, Meri bhoolein”, autobiography of Satyendra Narayan Sinha. Can anyone please tell me where I can find it in Patna?

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