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सनातन संस्था की वेबसाइट के नेपाली संस्करण का शुभारंभ

पटना: हजारो वर्षों से भारत तथा नेपाल के सांस्कृतिक संबंध रहे हैं । हिन्दू धर्म, दोनों देशों का समान सूत्र है । स्वाभाविक है कि दोनों देशों के श्रद्धास्थान, उनकी मान्यताएं, व्रत, त्यौहार, उत्सव आदि में बडी समानता है । पूरे विश्‍व का हिन्दू समाज सनातन संस्था के वेबसाइट का पाठक है । अनेक देशों के हिन्दुओं से इस वेबसाइट को अच्छा प्रतिसाद मिला है । इनमें से कुछ नेपाली जिज्ञासुओं ने नेपाल के हिन्दू समाज को धर्मशिक्षा मिले, इस हेतु सनातन की वेबसाइट का नेपाली संस्करण शुरु करने की मांग की। सनातन संस्था हिन्दू धर्म प्रचार का व्रत लेकर ही कार्यरत है। इस कारण हम यह मांग पूर्ण कर रहे हैं। पूरे विश्‍व के नेपाली बंधुओं को धर्मशिक्षा मिले, इसलिए नेपाली वेबसाइट आरंभ कर रहे हैं, ऐसा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस जी ने बताया ।

कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से वेबसाइट का लोकार्पण किया गया । इस समय राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाल के अध्यक्ष डॉ. माधव भट्टाराई तथा उनकी धर्मपत्नी तथा नेपाल सरकार की भूतपूर्व राज्यमंत्री कांता भट्टाराई इनके शुभ करकमलों द्वारा लोकार्पण किया गया। इस मंगल अवसर पर देहली से हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सदगुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे जी ऑनलाइन उपस्थित थे।

इस अवसर पर डॉ. माधव भट्टराई जी ने कहा, ‘सनातन संस्था की नेपाली भाषा की वेबसाइट हमें बहुत उपयोगी लगी और यह हमारी बहुत सहायता करेगी। इस प्रकार की धार्मिक वेबसाइट्स की नेपाल में कमी है । यह वेबसाइट केवल धर्म संबंधी ज्ञान ही नहीं; अपितु ‘हिन्दू राष्ट्र’के बारे में हम सभी का दिशादर्शन भी करेगी।’

इस समय सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘वेबसाइट में दी हिन्दू धर्मशिक्षा आदी जानकारी के माध्यम से भारत और नेपाल इन दोनों देशों का धर्मबंधुत्व दृढ होगा । दोनों देशों में हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु चल रहा अभियान आगे बढेगा ।’

हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, कन्नड, तेलुगू, तमिल, मलयालम इन 8 भाषाओं में उपलब्ध यह वेबसाइट अब नेपाली भाषा में भी उपलब्ध है । अध्यात्म सम्बन्धी शंकाओं का समाधान करने के लिए ऑनलाइन संपर्क सुविधा भी इस पर उपलब्ध है । सनातन की वेबसाइट के माध्यम से अनेक जिज्ञासुओं ने साधना आरंभ की है और स्वयं के जीवन को आनंदमय किया है । अधिक से अधिक जिज्ञासु इस जालस्थल को देख पाएं तथा साधना आरंभ करें, ऐसा आवाहन संस्था की ओर से किया गया है ।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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