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समर्पित शिक्षक ही राष्ट्र नव निर्माण कर सकते हैं- प्राचार्य

 

लालमोहन महाराज,मुंगेर

मुंगेर में शिक्षक दिवस के अवसर पर विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में सत्र 2021- 24 के छात्र-छात्राओं के द्वारा शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया ।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधि संस्थान के प्राचार्य डॉ राजेश कुमार मिश्रा , शिक्षक गण व छात्र-छात्राओं ने दीप प्रज्वलित कर शिक्षक दिवस का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी पुरुषोत्तम कुमार के द्वारा किया गया। वही मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ आर के मिश्रा को विधि के विद्यार्थी संजीव कुमार मंडल सहित अन्य विद्यार्थियों के द्वारा पुष्पगुच्छ एवं गौतम बुद्ध का प्रतीक चिन्ह( मोमेंटो) भेंट कर सम्मानित किया गया। साथ ही सभी उपस्थित शिक्षक गण एवं महाविद्यालय के कर्मचारियों को विद्यार्थियों के अलग-अलग ग्रुप द्वारा माल्यार्पण कर उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया। स्वागत भाषण संजीव कुमार मंडल के द्वारा दिया गया एवं महाविद्यालय के छात्रों द्वारा शिक्षकों के प्रति अपनी भावना का उदगार व्यक्त किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान शिक्षक डॉक्टर एनके शुक्ला, डॉ एस के मिश्रा , डॉ मनीष कुमार, डॉ पवन कुमार ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों छात्र छात्राओं को संबोधित करते प्राचार्य डॉ राजेश कुमार मिश्रा ने कहा कि–शिक्षक निर्माणकर्ता के साथ-साथ विध्वंसक भी है। गुरु और शिष्य की पुरानी परंपरा में रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, चाणक्य, चंद्रगुप्त, गुरु द्रोण -एकलव्य जैसे कई उदाहरण हैं ।परंतु वर्तमान समय में शिक्षा आय का एक स्रोत बन गया है। जहां आज के अधिकांश विद्यार्थी परीक्षा पास करने के लिए पढ़ते हैं ।वहीं शिक्षक भी शिक्षा के साथ विद्यार्थियों को सही व्यावहारिक ज्ञान, उचित मार्गदर्शन नहीं दे पाते हैं ।भारत विश्व गुरु तभी बनेगा जब शिक्षक आय के लिए नहीं बल्कि ज्ञान बांटने के लिए समर्पित शिक्षक बनेंगें। उन्होंने कहा कि एक समर्पित शिक्षक ही एक स्वस्थ व व्यवस्थित समाज, सुदृढ़ शिक्षा व्यवस्था एवं उन्नत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं ।उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेदकर के बारे में जोर देकर कहा कि बाबा साहब का कहना था कि आधी रोटी खाएंगे पर बच्चों को जरूर पढ़ाएंगे। हमें अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए ।क्योंकि गुरुर्ऱ ब्रह्मा , गुरुर्र विष्णु ,गुरुर्ऱ देव महेश्वरा। गुरुर्र साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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