सरकारी तंत्र की साजिश से प्रेस क्लब पदाधिकारियों पर मुकदमा दर्ज
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। भारत में पत्रकारों का उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है, अयोध्या में तो पत्रकरों का संगठन प्रेस क्लब ही सरकारी तंत्र के निशाने पर आ गया है। रामनगरी के पत्रकारों पर सरकारी साजिश ने मुकदमा दर्ज करवा दिया है। अयोध्या का उपनिदेशक सूचना मुरलीधर सिंह, प्रेस क्लब सिविल लाइन अयोध्या का प्रशासक बनना चाहता है। अयोध्या धाम में एक करोड़ की लागत से बना अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर इसी की लापरवाही से लोकार्पण के साल भर बाद भी देशभर के पत्रकारों के लिए संचालित नहीं हो पा रहा है।
आपराधिक किस्म के एक पत्रकार को मोहरा बनाकर उप सूचना निदेशक लगातार प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकारों के खिलाफ साजिश रचता रहा है। कई शिकायतों पर जांच हुई तो जांच रिपोर्ट को तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज ओझा ने रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए शासन को अलग से पत्र भेजा और उप सूचना निदेशक को फटकार भी लगाई थी। इसके बाद उप सूचना निदेशक ने गोपनीय पत्रावली में से जांच रिपोर्ट अपने एक अपराधी व्यक्ति को दे दिया और उसी की फोटो कॉपी पर यह तूफान खड़ा किया गया है। फोटोकॉपी की कोई लीगल वैल्यू नहीं है। गोपनीय दस्तावेज है इसलिए प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं हो सकती।
मालूम हो कि प्रेस क्लब करिअप्पा मार्ग अयोध्या पंजीकृत संस्था है जो अपने नियमों से संचालित होती है। पंजीकृत संस्था को ही शासन द्वारा अनुदान प्रदान किया गया था, जिस का संचालन संस्था के नियमों के अनुसार कराया जा रहा है।
प्रेस क्लब के पचास से ज्यादा सदस्य हैं जो वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रेस क्लब की स्थापना 19 94 में हुई है, तब से प्रेस क्लब नामक संस्था इसका संचालन करती है और डिप्टी रजिस्ट्रार सोसाइटी और चिट फंड को ऑडिट रिपोर्ट पेश करती चली आ रही है। प्रेस क्लब के सदस्यों में नवभारत टाइम्स, टाइम्स आफ इंडिया, जनसत्ता, दैनिक जागरण, जनमोर्चा, राष्ट्रीय सहारा हिंदुस्तान, फैजाबाद की आवाज, राष्ट्रीय स्वरूप, यू एन आई, पीटीआई के वरिष्ठ पत्रकार शामिल हैं ।
दरअसल उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह की योजना विवाद पैदा कर स्वयं प्रशासक बनने की है। प्रेस क्लब के पदाधिकारी ने उपनिदेशक सूचना से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रमाणित जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने की मांग किया था तो गोपनीय रिपोर्ट बता कर नहीं दिया गया था। सवाल यह उठता है जांच रिपोर्ट फोटोस्टेट होकर आखिर सार्वजनिक कैसे हुई। इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी उप सूचना निदेशक मुरलीधर की हो रही है, जिसकी जांच भी किया जाना आवश्यक है। उनके द्वारा गोपनीय कागजों को सार्वजनिक किया जाना स्वयं में अपराध है। इन सारे कारनामों से अयोध्या जनपद के पत्रकारों में भारी रोष है।
अयोध्या धाम में एक करोड़ की लागत से बना सरकारी अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर उपनिदेशक सूचना की लापरवाही से लोकार्पण के साल भर बाद भी देशभर के पत्रकारों के लिए संचालित नहीं हो पा रहा है। उपनिदेशक सूचना डॉक्टर मुरलीधर पत्रकारों के बीच में वैमनस्यता पैदा कर अपनी ठाट चला रहे हैं। मनमानी क्रियाकलाप से अयोध्या के पत्रकारों में काफी रोष व्याप्त है जिसको लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश एसोसिएशन आफ जर्नलिस्ट्स ने शिकायत पत्र भेजकर जांच कराने की मांग किया है। इनके ऊपर सरकारी धन की अनियमितता करने का भी आरोप है, साथ में अयोध्या के एक मंदिर में भवन निर्माण करने का काम इनके द्वारा कराया जा रहा है। उपनिदेशक सूचना के खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है , सरकार का दुलारा होने के नाते फाइल धूल खा रही।