हमार टीवी की वजह से मीडिया कप की मिट्टी पलीद हुई
राकेश कुमार, पटना
पटना में रिलांयस द्वारा आयोजित मीडिया कप विवादों के घेरे में आ गया है। मीडिया कप पर कब्जा करने के लिए हमार टीवी अपनी टीम में कई बाहरी खिलाड़ियों को शामिल किये हुये है। हमार टीवी में शामिल बाहरी खिलाड़ियों पर सबसे पहले देश लाइव टीवी की टीम ने विरोध जताया था। देशलाइव टीम की ओर से आपत्ति जताये जाने पर मैदान में काफी देर तक खेल बाधित रहा था। आयोजकों की ओर से देशलाइव टीम को आश्वस्त किया गया था कि इस मामले की जांच की जाएगी और न्याय मिलेगा। हमार टीवी की टीम में यदि वाकई में बाहरी खिलाड़ी खेल रहे हैं, तो इस मैच का फैसला देशलाइव के पक्ष में जाएगा। इसके बाद किसी तरह से मैच शुरु हुआ। बाद में आयोजकों ने हमार टीवी में खेलने वाले बाहरी खिलाड़ियों की जांच करने की जरूरत नहीं समझी।
अंदर की जानकारी यह है कि रिलायंस मीडिया कप का आयोजन कराने वाले मनमीत सिंह अलबेला की हमार टीवी के कई अधिकारियों के साथ काफी बनती है। यही कारण है कि आउट आफ वे जाकर वे हमार टीवी का समर्थन करते रहे। तानाशाही रवैया अपनाते हुये अलबेला ने मैच का फैसला हमार टीवी के पक्ष में दे दिया।
इसके बाद हमार टीवी का क्वाटर फाइनल मैच दैनिक हिन्दुस्तान की टीम के साथ हुआ। बाहरी खिलाड़ी की बदौलत एक बार फिर हमार टीवी की टीम जीत गई। हमार टीवी का जीत अभियान लगातार जारी रहा। इस बीच मनमीत सिंह अलबेला लगातार हमार टीवी की टीम की ओर से आंखें मूंदे रहे, जबकि उनके पास हमार टीवी में बाहरी खिलाड़ियों की शिकायतें लगातार आ रही थी।
अलबेला की तानाशाही और हमार टीवी की चालबाजियों के खिलाफ इटीवी ने सेमीफाइनल मैच के दौरान मैदान में ही खुली बगावत कर दी। अपनी जीत को जारी रखने के लिए हमार टीवी वाले मंगलवार को पांच बाहरी खिलाड़ी को लेकर मैदान में उतरने की तैयारी में थे। इटीवी ने हमार टीवी के सभी खिलाड़ियों का पहचान पत्र मांगा और बाहरी खिलाड़ियों के साथ खेलने से साफतौर पर इन्कार कर दिया। अंतत अलबेला को मजबूर होकर हमार टीवी से उनके खिलाड़ियों का पहचान पत्र मांगना पड़ा और पहचान पत्र न दे पाने की स्थिति में मैच का फैसला इटीवी के हक में देना पड़ा।
अब देशलाइव और दैनिक हिन्दुस्तान की टीम के खिलाड़ी अलबेला से पूछ रहे हैं कि जब उन्होंने हमार टीवी में शामिल बाहरी खिलाड़ियों की शिकायत की थी तो समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। और अब जब हमार टीवी का पोल खुल चुकी है, तो उन्हें दुबारा क्यों नहीं खेलने का मौका दिया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में अलबेला की छवि निहायत ही एक घटिया व्यवस्थापक के रूप में सामने आई है। उनकी कारगुजारियों के कारण रिलायंस द्वारा आयोजित मीडिया कप की प्रतिष्ठा पर सवालिया निशान लग गया है। पटना के मीडिया हलकों में यह पूछा जा रहा है कि आखिर इस मीडिया कप का औचित्य क्या है ? जब बाहरी खिलाड़ियों को लेकर ही उतरने की छूट थी तो इसे मीडिया कप का नाम क्यों दिया गया। मनमीत अलबेला की हरकतों से रिलायंस की प्रतिष्ठा को भी धक्का लगा है। इसके साथ ही हमार टीवी की खेल भावना पर भी सवाल उठ रहे हैं। हमार टीवी की हरकतों से मीडिया कप का मजा किरकिरा हो गया है।