हिन्दी और पेंटिंग से प्रेम है फ्रोसो विजोतोसु को
‘मैं एक यात्री हूं और यात्रा करना पसंद करती हूं। भारत आना मुझे बेहद पसंद है। यहां मैं तीसरी बार आई हूं और बार –बार आना चाहूंगी। भारत के लोग बहुत ही मिलनसार हैं’, यूनानी कलाकार और हिन्दी प्रेमी फ्रोसो विजोवितोसु चहकते हुये कहती हैं। उनकी आंखों से आत्मविश्वास टपक रहा है, और भारत के लिए प्रेम भी। ग्रीक इंडोएसोसिएशन आर्टिस्ट सोसाइटी आफ नार्दन ग्रीस की सदस्या विजोवितोसु मिजाज से खुद को यात्री कहना ही पसंद करती हैं। वैसे कविताओं पर भी उनकी गहरी पकड़ हैं और रंगमंच से भी जुड़ी रही हैं। पेंटिग से भी इनका करीबी का रिश्ता हैं और फिलहाल दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम के श्रीधरनी गैलरी में इनकी चार पेंटिग्स लगी हुई हैं। राजस्थानी लोक नृत्य से भी इनका गहरा लगाव है। राजस्थानी लोक नृत्य पर ये तो पूरी तरह से फिदा हैं। अपना अधिकांश समय इन्होंने रास्थान में भी बिताया है। इनको लोकगीत और लोक नृत्यों की तलाश में रहती है। फ्रोसो योग ने भी काफी प्रभावित किया है। अब वो पूरी तरह से योग में डूबी हुई हैं।