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Sunday, May 5, 2024

खूब खून बहेंगे अबूझमार के घने जंगलों की अबूझ पहेली जानने...

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अखिलेश अखिल, नई दिल्ली इसे केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल विरोधी अभियान का हिस्सा माने या फिर अबूझमार के घने जंगलों में रह रहे...

देश की जनता ही तय करे कि असली नक्सली कौन है

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अखिलेश अखिल अखिलेश अखिल, नई दिल्ली ‘नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी...

मोदी बनाम धर्मनिरपेक्षता की राजनीति

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 (धरमबीर कुमार) अमेरिकी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सी आर एस ) की भारत से सम्बंधित रिपोर्ट जो अभी समाचारों में सुर्खियाँ बटोर रही हैं , कि...

मंजिल का सफ़र (कविता )

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-  धर्मवीर कुमार           मंजिल का सफ़र कतई आसान न था,  क्योंकिं मुझ पर कोई भी मेहरबान न था. रास्ते में छोटे- बड़े अवरोध भी मिले,  सच कहता...

रसूल की छवि में दफन हो गई अन्ना-आंदोलन की आत्मा

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तो आधी जीत हो चुकी है, प्रधानमंत्री, सांसद, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, जज लोकपाल के दायरे से बाहर रहेंगे। एनजीओ पर तो पहले से ही...

दिल्ली का रामलीला मैदान : आंखों देखी

दिल्ली का रामलीला मैदान जहां पहुंचने का एक आसान साधन है दिल्ली मेट्रो। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन मेट्रो पर पहुंचते ही आंदोलन की आवाजें...

बिहार में मीडिया नियंत्रित, नौकरशाह बेलगाम

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मंच को संचालित करने की जिम्मेदारी रंगकर्मी, एक्टिविस्ट, प्रोफेसर एवं पत्रकार ध्रुव कुमार को मिली थी और माइक संभालते ही उन्होंने संयम के साथ...

कांग्रेस को समय की पुकार सुननी चाहिए

संजय मिश्र, नई दिल्ली साल १८८६....स्थान कलकत्ता। अधिवेशन के लिए कांग्रेस को जगह नहीं मिल रही थी। ऐन वक्त पर दरभंगा महाराज आगे आते हैं...

पिछलग्गू लोगों के शोर में और आन्दोलन में फर्क होता है

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चंदन कुमार मिश्र अन्ना से सरकार की अनबन और अन्ना के अनशन का खेल रोज दिख रहा है। तानाशाही तरीका अपनाना कहीं से न्यायोचित नहीं...

भारत और इंडिया के मिलन का प्रस्थान बिंदु हो सकते हैं...

संजय मिश्र देश आज ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ से कई रास्ते फूटते हैं। कई लोग मानते हैं कि कुछ समय बाद देश पुराने...