लिटरेचर लव
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निचली शक्तियों की अनदेखी साहित्य की सेहत के लिए ठीक नहीं : राजेंद्र यादव
दयानंद पांडेय, हंस के संपादक और कभी कहानीकार रहे राजेंद्र यादव हिंदी में एक दुर्लभ प्रजाति के जीव हैं। हद…
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भडका रहे हैं आग लब-ए-नग़्मगर से हम, ख़ामोश क्यों रहेंगे ज़माने के डर से हम — साहिर
“मेरे सरकश तराने सुन के दरिया ये समझती है कि शायद मेरे दिल को इश्क के नगमों से नफरत है”…
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कुछ मुलाकातें, कुछ बातें : सवाल रूपी मशाल जलाती बातें-मुलाकातें
डॉ. मुकेश मिश्रा, एक होनहार और विद्वान पत्रकार अपने पत्रकारिता काल में हर दिन कुछ न कुछ लिखता है। उस…
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महिलाओं का ‘राइट टू रिजेक्ट’
अशोक मिश्र रविवार को सुबह थोड़ी देर से उठा। उठते ही घरैतिन के सुलोचनी चेहरे के दर्शन नहीं हुए, तो…
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ज़ीस्त को आख़िरी साँसों में समझ पाये हम
सौरभ नेमा ‘नाकाम’ ख़्वाब को टूटती नींदों में समझ पाये हम, इश्क़ को आख़िरी लमहों में समझ पाये हम। ये…
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बाइट, प्लीज (part-20)
43. “आपको नहीं पता है कि इस संस्थान में क्या चल रहा है,” अमलेश ने कहा, “ सुयश मिश्रा के…
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बाइट, प्लीज (part -19)
40. दो दिन बाद रत्नेश्वर सिंह पटना पहुंचे। माहुल वीर और अविनव पांडे पहले से ही यहां जमे हुये थे।…
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‘लातयोग’ की आशंका
अशोक मिश्र उस्ताद गुनहगार के घर पहुंचा, तो देखा कि ज्योतिषाचार्य मुसद्दीलाल मेज पर अपना पोथी-पत्रा बिछाए गंभीर चिंतन में…
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बाइट, प्लीज (part 18)
37. भुजंग के जाने के बाद नरेंद्र श्रीवास्तव को विश्वास में लेकर पटना में कंट्री लाइव की कमान महेश सिंह…
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भारत की अति पुण्य-भूमि है (कविता)
अरविन्द सिंह ‘मोनू’, भारत की अति पुण्य- भूमि है मोक्ष की गति द्वार ही है अहिल्या को जहाँ जीवन मिला…
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