गुजरात के पालीताणा तीर्थ में असमाजिक गतिविधियों को लेकर जैन समुदाय में आक्रोश
अमरनाथ, मुंबई।
श्री सम्मेद शिखर जी झारखंड में जैन धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता रहा है। सरकार द्वारा इसे पयर्टन स्थल घोषित करने के बाद जैन समुदाय ने इसके विरुद्ध झारखंड समेत देश भर में आंदोलन किया। 1 जनवरी 2023 को दिल्ली मुंबई समेत कई स्थानों पर जैन समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया। इस जबरदस्त विरोध को देखते हुए श्री सम्मेद शिखरजी के पर्यटन स्थल में बदलने पर रोक लगा दी गई है।
इस पूरे मामले को लेकर आज मुंबई के 1100 से अधिक जैन संघों के समूह, श्री मुंबई जैन संघ संगठन, की ओर से एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया गया, जहां श्री मुंबई जैन संघ संगठन के कन्वीनर श्री नितिन वोरा तथा संगठन के अन्य श्रेष्ठी कमलेश भाई, पूजा बेन, स्नेहल भाई शाह, कुमार दोषी और विपुल भाई शाह ने इस मुद्दे पर मीडिया से बात की।
नितिन वोरा ने बताया कि श्री सम्मेद शिखरजी के पर्यटन स्थल में बदलने पर रोक लगाने के लिए धन्यवाद लेकिन इसमें और भी सुधार करने अगर बाकी बचे तो, Detailed Gazette आने के बाद उसका अभ्यास किया जाएगा।
इन 90 से अधिक रैलियों में एक और मुद्दा भी उठाया गया था पालीताणा तीर्थ रक्षण का मुद्दा। यह मुद्दा अभी तक Official Paper पर आना अपेक्षित है।
श्री कमलेश भाई ने बताया कि गुजरात के पालीताना में स्थित, श्री शत्रुंजय तीर्थ, जैन समाज का एक बेहद पवित्र तीर्थ है जहां पिछले कुछ वर्षो से असामाजिक तत्वों द्वारा गैर कानूनी गतिविधियां की जा रही हैं, जिससे तीर्थ क्षेत्र को हानि हो रही है। यहां सैकड़ों वर्ष पुराने भगवानजी के चरण पादुका को तोड़ा गया, जैन साधुजी को अपशब्द कहे गए और उन्हें मारने का भी प्रयत्न किया गया। यहां अवैध रूप से माइनिंग, ज़मीन पर अवैध रूप से कब्जा, दारू की भट्टी सहित 19 बड़े मुद्दे हैं जिसे लेकर जैन समाज अब उग्र आंदोलन की तैयारी कर रहा है। सरकार से हमारी अपील है कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द एक्शन ली जाए। देश में जैन समाज को इन घटनाओं से गहरी चोट पहुंची है।
बता दें कि झारखंड सरकार द्वारा श्री सम्मेद शिखरजी के पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले के विरोध में जैन समुदाय के सदस्यों ने भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध की लहरें दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद के अलावा अन्य शहरों में भी देखने को मिली थीं। इसके बाद सरकार ने इसको पर्यटन स्थल में बदलने पर रोक लगा दी।
उल्लेखनीय है कि श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है, जो झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित है। जैन धार्मिक मान्यता यह है कि 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने यहीं मोक्ष हासिल किया है।