अब ईरान में भी बगावत, भ्रष्टाचार में रिकार्ड तोड़ रहा भारत

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ट्यूनिशिया, यमन, मिस्र और अल्जिरिया के बाद अब ईरान में भी लोग बगावती मूड में आ गये हैं. हालांकि ईरान प्रशासन ने आधिकारिक रूप से मिस्र क्रांति का समर्थन किया था, लेकिन अब ईरान में उठने वाली शासन विरोधी स्वरों को दबाने के लिए नंगी शक्ति का इस्तेमाल खुल कर रहा है। तेहरान चौक पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच एक झोंक मारपीट हो चुका है, और यह आग धीरे-धीरे ईरान के अन्य हिस्सों को भी अपने चपेट में लेने के लिए उतावला है।

सोमवार को लोग चारों ओर से तेहरान चौक शासन विरोधी नारा लगाते हुये जुटने लगे थे, पुलिस और सुरक्षा बलों ने इन पर जमकर आंसू गैस के गोले बरसायें, इसके बाद पूरा तेहरान चौक जंग की मैदान में तब्दील हो गया, लड़ाई  छोटी-छोटी गलियों तक में छिटक गई। सुधार को लेकर लोग बहरीन में भी सड़कों पर उतर आये। यहां पर भी पुलिस, सुरक्षा बल और लोगों के बीच काफी देर तक खूनी लड़ाई चलती रही। अल्जिरिया और यमन में लोग अभी तक मोर्चा संभाले हुये हैं, यहां पर दमन की कार्रवाई भी उतनी ही तेजी  से चल रही है।

दिसंबर 2009 में तेहरान के आजादी चौक पर हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया था, जिसे बड़ी बेदर्दी से कुचल दिया गया था। उस वक्त 8 लोगों की मौत हुई थी। ईरान के लोग इस घटना को आज तक नहीं भूले हैं। ट्यूनिशिया और मिस्र में जिस तरह से लोगों ने वहां के शासकों का तख्ता पलट किया है, उसका सीधा प्रभाव ईरान की जनता पर पड़ रहा है। हालांकि ईरान की परिस्थितियां ट्यूनिशिया और मिस्र से थोड़ी भिन्न है। ट्यूनिशया और मिस्र में सेना जनता के साथ खड़ी थी, लेकिन ईरान में सेना यहां के शासन के पक्ष में है। ईरान में विरोधी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है।

2009 के चुनाव के बाद से ही ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजात चुन-चुन अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने में लगे हुये हैं। पिछले छह महीनें में निश्चित रणनीति के तहत विरोधी गुट के 80 नेताओं व कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है और सैंकड़ों लोग जेल में बंद है। राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजात विरोधियों का पूरी तरह से सफाया करने के मूड में है। मिस्र में हुई क्रांति में करीब 300 लोग मारे गये हैं। अब ईरान भी इसी रास्ते पर बढ़ रहा है।

एशियाई देशों में जनता को विद्रोही मूड में लाने और व्यवस्थित तरीके से क्रांति को आगे बढ़ाने में इंटरनेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सामाजिक विज्ञान और जन संचार से जुड़े शोधार्थियों के लिए इंटरनेट की अपार शक्ति अपनी ओर आकर्षिक कर रहा है. ट्विटर और फेसबुक जैसै सोशल साइट क्रांति को खूब हवा दे रहे हैं और लोग तेजी के साथ इन साइटों पर रियक्ट कर अपनी भावी सामूहिक योजनाओं को मूर्तरूप दे रहे हैं। ट्यूनिशिया, मिस्र, यमन और ईरान में जो कुछ हो रहा है उसके रिफ्लेक्शन नेट पर दिखाई दे रहा है। तमाम सोशल साइटें क्रांतिकारी नारों से पटे पड़े हैं। नेट क्रांति ने सही मायने में दुनिया को ग्लोबल विलेज के रूप में तब्दील कर दिया है। भारत में भी इसका जमकर इस्तेमाल हो रहा है, इन साइटों पर लोग वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार तो कर रहे हैं, लेकिन अभी तक भारत को लेकर कोई ठोस योजना इन साइटों पर नहीं दिखाई दे रही है। भ्रष्टाचार के मामले में भारत एक के बाद रिकार्ड तोड़ रहा है, लेकिन इसका रियेक्शन अभी सड़कों पर दिखाई नहीं दे रहा है। हर हाल में जीने की अपार क्षमता है भारत के लोगों में।

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  1. ‘हर हाल में जीने की अपार क्षमता है भारत के लोगों में।’

    क्या खूब कही है?

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