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जंगलराज वालों के भ्रमजाल में नहीं फंसेगा वैश्य समाज : ललन सर्राफ

न्याय के साथ विकास को लेकर यह समाज प्रतिबद्ध है

पटना। जदयू के विधानपार्षद सह प्रदेश कोषाध्यक्ष श्री ललन सर्राफ ने शिवहर लोकसभा क्षेत्र से एनडीए उम्मीदवार श्रीमती लवली आनंद के समर्थन में बेलसंड विधानसभा के परशुरामपुर, रीगा विधानसभा के शाहबाजपुर और चिरैया विधानसभा के चिरैया बाजार में व्यवसायी समाज के साथ बड़ी बैठक की।

इस दौरान उनके साथ जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. अमरदीप, जदयू व्यावसायिक एवं उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री धनजी प्रसाद, पिछड़ा वर्ग आयोग की पूर्व सदस्य श्रीमती कंचन गुप्ता, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य श्री मुकेश जैन, पूर्वी चंपारण जिला जदयू की अध्यक्ष श्रीमती मंजू देवी, जदयू के वरीय नेता अरविन्द निराला सिन्दूरिया, नगीना चौरसिया, गणेश कानू, संजय मोदी, मिथलेश कुमार, गणेश भगत, सुजित पाठक, दिनेश गुप्ता, इबरारुल हक, बिनोद साह, अरुण साह, बिनोद गुप्ता, दिनेशचन्द्र प्रसाद, अरुण पटेल, विनय कुशवाहा, ब्रजकिशोर ठाकुर, बृजमोहन गुप्ता,सुनील भूषण ठाकुर, धर्मेन्द्र साह, अशोक चैधरी, सीताराम पंडित, रामनरेश कुमार, अंजनी कुमार, श्री हरिओम कुमार, श्री रिशु कुमार, रोहन कुमार, आशीष झा, कुणाल गौरव आदि मौजूद रहे।
इस मौके पर श्री ललन सर्राफ ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार का वैश्य समाज जंगलराज वालों के भ्रमजाल में नहीं फंसेगा। न्याय के साथ विकास को लेकर यह समाज प्रतिबद्ध है। इसे पता है कि विकसित बिहार और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना नीतीश-मोदी के बिना नहीं की जा सकती। किसी भी कीमत पर यह समाज सुनहरे भविष्य को छोड़ अंधेरे अतीत की ओर नहीं लौट सकता।
ललन सर्राफ ने आगे कहा कि इस लोकसभा चुनाव में मैंने अधिकांश क्षेत्रों का दौरा किया है। हर जगह लोगों का उत्साह देख मैं कह सकता हूँ कि बिहार इतिहास रचने के बहुत करीब है। इस बार बिहार की सभी 40 सीटें एनडीए की झोली में आएंगी और शिवहर से श्रीमती लवली आनंद की जीत रिकाॅर्ड मतों से होगी।

 

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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