दर्शकों में खासा लोकप्रिय हो रहा है धारावाहिक -‘‘मुआवज़ा मदद या अभिशाप’’
– राजू बोहरा,
विश्व के सभी देशों की तरह हमारे देश भारत में भी आये दिन कहीं न कहीं लगातार ऐसी घटनाएं और दुर्घटनाएं होती रहती हैं जिन्हें हम प्राकृतिक आपदा का नाम भी देते हैं, लेकिन एक सच यह भी कि कभी-कभी यह बड़ी घटनाएं और दुर्घटनाएं मनुष्य की लापरवाही के कारण भी घटित होती हैं। जाने या अंजाने में घटित इन घटनाओं और दुर्घटनाओं से प्रभावित होने वाले लोगों और उनके परिवार के लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाता है। इन घटनाओं से प्रभावित लोगों और इनके परिवारों का जीवन फिर से पटरी पर लाने के लिए हमारे देश की केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें इन्हें कई तरह की आर्थिक मदद्त देती हैं, जिसे हम मुआवज़ा कहते हैं। गौरतलब बात यह है कि यही मुआवज़ा यदि उचित हाथों में जाता है तो उनके लिए यह एक वरदान साबित होता है और यही मुआवज़ा यदि गलत हाथों में पड़ जाता है तो मनुष्य और उसके परिवार के लिए यह एक अभिषाप भी बन जाता है। इसी बेहद संवेदनशील विषय को उठाया गया दूरदर्शन के लोकप्रिय नए डेली धारावाहिक ‘‘मुआवज़ा मदद्त या अभिशाप’’ में। सोमवार से शुक्रवार, दोपहर 12.00 बजे दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर दिखाए जा रहे इस डेलीसोप का निर्माण व निर्देशन ‘दीर्घा विजन’ के बैनर तले मशहूर धारावाहिक निर्देशक सुजीत सिंह ने किया है जो ‘‘प्रतिज्ञा, वो रहने वाली महलों की, अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो, सजन घर जाना है, संजीवनी, कुमकुम, बनूं मैं तेरी दुल्हन, साथिया, संतान, संगम और सोलह सिंगार’’ जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों के डायरेक्टर रह चुके हैं। धारावाहिक ‘‘मुआवज़ा मदद या अभिशाप’’ के लेखक दिलीप मिश्रा, एपीसोड डायरेक्टर रामरतन भार्गव, सह निर्माता सुरेन्द्र शर्मा, क्रियेटिव हेड रजत आनंद, गीतकार नवाब आरज़ू, गायक मो. सलामत और संगीतकार अली गनी हैं।
ग्रामीण पृष्ठभूमि पर बने इस धारावाहिक में मुख्य अहम किरदारों को आदर्श गौतम, मुग्धा शाह, संजीव विल्सन, अतिश्री सरकार, अबीर गोस्वामी, बेबी प्रियंका, आइशा, साजिदा, उमेश वाजपेई, विवेक के. रावत, ज्योतिव और नरेश धीमान जैसे चर्चित कलाकार निभा रहे हैं। धारावाहिक ‘‘मुआवज़ा मदद या अभिशाप’’ के बारे में निर्माता-निर्देशक सुजीत सिंह ने बताया कि यह एक गाँव की 12 साल की नटखट गरीब लड़की सांवली की है जिसका पिता नाई है और वो सांवली को खूब पढ़ा लिखाकर उसका भविष्य उज्जवल बनाना चाहता है। पर एक दिन एक दुर्घटना घटती है सांवली का 5 साल का छोटा भाई गांव में खुद रहे सरकारी नलकूप के बोर वेल में गिर जाता है और भाई को बचाने की कोशिश में सांवली भी उसी बोर वेल में गिर जाती है। दो दिनों के प्रयास के बाद फौज की मदद से दोनों को बाहर निकालने में कामयाबी मिलती है परन्तु सांवली के भाई की मौत हो जाती है और सांवली खुद अपाहिज हो जाती है। यहीं से शुरू होता है मुआवज़े का खेल। गरीबी की हालत में जी रहे सांवली के पिता के पास रुपये का अम्बार लग जाता है। अचानक आई दौलत से सांवली का पिता बहक जाता है और वही मुआवज़ा उस परिवार के लिए मदद्त के बजाए अभिषाप बन जाता है। निर्माता-निर्देशक सुजीत सिंह के अनुसार, ‘‘यह धारावाहिक मनोरंजन के साथ-साथ कई गंभीर विषयों पर भी रोशनी डालता है। शिक्षा के महत्व को खासतौर से इसमें गंभीरता से उठाया गया है।’’