पहला पन्ना

दीपावली पूर्व जीकेेसी ने मनाया दीपोत्सव

मुकेश महान

पटना।कायस्थों की विश्वस्तरीय संस्था ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस दीपावली के ऐन पहले पटना के जीकेसीयनों के साथ दीपोत्सव का आयोजन किया। यह आयोजन संगठन की पटना जिला की युवा इकाई द्वारा नागेश्वर कॉलोनी स्थित संगठन के केंद्रीय कार्यालय में किया गया।

दिन ढलने और अंधेरा होने के बाद आयोजित इस कार्यक्रम में दीपों से GKC को प्रज्वलित किया गया। साथ में यह संकल्प भी लिया गया कायस्थ एकता की यह लौ कभी मद्धिम नहीं पड़ने दी जाएगी। इस दीपोत्सव में भाग लेने और दीप प्रज्वलित करने वाले जीकेसियनों की भीड़ उमड़ पड़ी। मिट्टी के दियों से प्रज्वलितGKC एकखूबसूरत दृश्य बना रहा था।
दीप प्रज्वलन के पूर्व भागवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना की गई। वहां उपस्थित सभी जीकेसियनों ने चित्रगुप्त की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर अपनी अपनी श्रद्धा अभिव्यक्त किया। पूजा अर्चना के बाद कायस्थ एंथम की प्रस्तुति हुई। फिर दीपोत्सव की शुरुआत बहुत ही उल्लास और उमंग के साथ की गई। मौके पर सभी जीकेसियनों द्वारा एक दूसरे को दीपावली और चित्रगुप्त पूजा की शुभकामनाएं देते हुए देखा गया।
इस अवसर पर संगठन की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने अपने वक्त्व्य में भावुक होते है कहा कि जीकेसी हमारी आत्मा है। यह महज एक संगठन नहीं, बल्कि एक विचार बन चुका है। अब किसी के लिए भी इसकी उपेक्षा संभव नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक अभिषेक ने कहा कि जीकेसी कम ही दिनों में बड़ी संस्था बनकर उभरी है। अब हम सबको मिलकर इसे और भी मजबूत बनाना हैऔर हमारा लक्ष्य भी है कि हर कायस्थ परिवार में जीकेसी की मजबूत उपस्थिति हो। इसके साथ ही कई अन्य वक्ताओं ने दीपोत्सव को संबोधित किया।
कीपूर्व आज के केंद्रीय कार्यालय पटना में दी महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमे सभी ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, भगवान श्री चित्रगुप्त जी को माल्यार्पण कर सैकड़ों दीपों को प्रज्ज्वलित किया गया और सभी के लिए दीपावली और चित्रगुप्त पूजा की मंगलमय शुभकामना दी गई। इस अवसर पर प्रबंध न्यासी श्रीमति रागिणी रंजन भाभी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य से सभी GKCIANs में एक नई ऊर्जा का संचार किया साथ ही सभी को शुभकामना दी।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button