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पटना में सात दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला शुरु

पटना: बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड (कला,संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार) के तत्‍वावधान में सात दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला का आयोजन चार फरवरी से 10 फरवरी तक निगम मुख्‍यालय मॉरीसन भवन में किया गया है। फिल्म निर्माण कार्यशाला निगम के द्वारा 20 प्रतिभगियों का चयन किया गया है, जिसमें शशि कान्त कुमार शर्मा, सय्यद आमिर अब्बास, सीमान्त कुमार, नाज़िला ज़ैनाब, श्रुति प्रिया, राहुल कुमार, विकास कुमार, स्वस्तिक सौम्या, राजन आनंद,अभिजीत कुमार गुप्ता, जितेंद्र मोहन,अनुज कुमार रॉय, अंकित ईशान वर्मा, राजेश कुमार ऍम. एबीएस, मृत्युंजय शर्मा, अमरेश कुमार, नीरज कुमार, सय्यद एस तौहीद, नवीन कुमार, रणवीर कुमार शामिल हैं। इस दौरान बतौर विशेषज्ञ फिल्‍मकार प्रवीण कुमार चयनित प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करेंगे। ये जानकारी फिल्म निर्माण कार्यशाला के संयोजक कुमार रवि कांत ने दी।

कुमार रवि कांत ने बताया कि बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड राज्‍य में फिल्‍मों के विकास के लिए तत्‍परता से काम कर रही है। इसके तहत हाल के दिनों में क्षेत्रीय फिल्‍म महोत्‍सव, इंटरनेशनल फिल्‍म महोत्‍सव, पटना फिल्‍म फेस्टिवल, सिख धर्म के दसवें गुरू गोविंद सिंह महाराज के प्रकाशेत्‍सव पर फिल्‍मोत्‍सव जैसे आयोजन किए गए। इस दौरान फिल्‍म के प्रदर्शन के बाद फिल्‍म और राज्‍य में फिल्‍म के विकास पर विस्‍तार से चर्चा की गई।

उन्‍होंने बताया कि इस फिल्म निर्माण कार्यशाला के पहले भी बिहार राज्‍य फिल्‍म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड ने अभिनय के लिए दो कार्यशालाओं का आयोजन किया था। अभिनय कार्यशाला में मशूहर अभिनेता व रंगकर्मी विनित कुमार ने प्रतिभागियों को अभिनय की बारिकियों से परिचय करवाया और उसके महत्‍व पर चर्चा की। इसकी कड़ी में एक बार फिर से संपूर्ण फिल्‍म के निर्माण प्रक्रिया पर ‘फिल्म निर्माण कार्यशाला’ का आयोजन किया गया है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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