पुलिस और मुखिया के खून का प्यासा रहा है इनामी नक्सली बालेश्वर कोङा
लालमोहन महाराज, मुंगेर। धरहरा के सीमावर्ती इलाके राजकोल में 13जनवरी 2018को एसटीएफ की गोली के शिकार होने के बाद भी भागने में सफल रहे सीआरपीएफ के सामने सरेंडर करने वाला पचास हजार का इनामी जे बी जोन के उप सेक्शन कमांडर बालेश्वर कोड़ा उर्फ मुखिया जी पुलिस और मुखिया के खून का प्यासा रहा है। हाल ही में सरेंडर करने वाले नक्सलियों के साथ बालेश्वर कोङा ने धरहरा प्रखंड के अजीमगंज पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया परमानंद टुडु हत्याकांड को अंजाम दिया था। मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू सहित दर्जनों पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने में उसने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। मुंगेर में तैनाती के दौरान आईपीएस शिवदीप लांडे को मारने के लिए कोड़ा ने अपने दस्ते के साथ कई बार पीछा किया था। पुलिस को मार हथियार लूटने के इस मास्टरमाइंड को 13 जनवरी 2018की रात्रि एसटीएफ की गोली लगने की सूचना मिली भी मिली थी। इसके बाद मुंगेर, जमुई, लखीसराय के बड़े हिस्से के नक्सलियों को गहरा झटका लगने के कयास भी लगाए गए थे।जमुई के चोरमारा के रहने वाले इस कुख्यात नक्सली ने वर्ष 2004 में इस इलाके में इंट्री की । 5 जनवरी 2005 को जमुई मुंगेर सीमा पर स्थित भीम बांध में मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू सहित छह पुलिसकर्मियों को मारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । बालेश्वर कोड़ा 1 जनवरी 2008 में मुंगेर के ऋषि कुंड में 4 सैप जवानों की हत्या कर उनके हथियार लूटने वाले मारक दस्ते में भी शामिल था । इस घटना के बाद उसके पांव इस इलाके में जम गए। इसके बाद कोड़ा जमुई जिले के खैरा क्षेत्र के इंस्पेक्टर कपिल राम, सोनो बाजार के निकट पुलिस दल पर हमला कर 6 जवानों को मारने सहित कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देता गया। सूत्रों की मानें तो उप सेक्शन कमांडर रह चुके बालेश्वर कोड़ा के दस्ते ने दर्जनों पुलिसकर्मियों को मार उनके हथियार लूट लिए। वर्ष 2010 में मुंगेर में तैनाती के दौरान आईपीएस शिवदीप लांडे को मारने के लिए हवेली खड़गपुर क्षेत्र में कई बार रेकी की थी। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। विगत 19 दिसंबर 2017को नक्सली बंदी के दौरान अपने दस्ते के साथ मसुदन रेलवे स्टेशन पर मारक दस्ते के साथ पहुंचे बालेश्वर कोड़ा ट्रेन को रोक कर उसमें सवार जीआरपी एस्कॉर्ट के जवानों के असलहे को लूटने की फिराक में था। हालांकि विलंब से पहुंची गया जमालपुर ट्रेन के कारण स्टेशन को सिर्फ आग के हवाले करने के बाद एएसएम मुकेश कुमार व पोर्टर नीरेंद्र मंडल को अगवा कर लिया था। बाद में पूर्णत: रेल परिचालन ठप की मांग रेल अधिकारियों के द्वारा पूरा किए जाने के बाद अपहृतों को मुक्त किया था।
संगठन के लोगों को भी दी सजा
बालेश्वर कोड़ा ने सिर्फ पुलिस वालों को ही नहीं मारा। संगठन विस्तार में जो भी बाधा बना उसे रास्ते से हटा दिया। वर्ष 2009 में मुंगेर के हवेली खड़गपुर क्षेत्र में झील रोड पर पूर्व एरिया कमांडर विकास दा को मारा था। विकास पर संगठन छोड़ पुलिस की मुखबिरी का आरोप था। इसके बाद नक्सलियों की राह में रोड़ा साबित हो रहे धरहरा प्रखंड के करेली गांव में 2 जुलाई 2011 को मारक दस्ते में शामिल बालेश्वर कोड़ा ने अपने सहयोगियों के साथ हमला बोलकर मुखिया सुलो देवी के पति अशोक कोड़ा पर हमला बोल दिया। इस घटना में छह ग्रामीण मारे गए थे । जमालपुर, धरहरा, कजरा के एरिया कमांडर बनने के बाद नक्सली कोड़ा के मारक दस्ता ने नक्सली रह चुके कजरा थाना क्षेत्र के मुस्तफापुर निवासी गौतम तांती, शिवडीह के सनी राम, मोहलिया के उप मुखिया वीरेंद्र कोड़ा, बरमसिया के लल्लन यादव, अमारी के मुकेश ¨बद उर्फ गोपाल, पंकज राम का भांजा गोरे राम की पुलिस मुखबिरी एवं अन्य कई आरोप लगाकर हत्या कर दी । नक्सली कोड़ा लेवी लेने के बाद ही कार्य शुरू करने का आदेश देता था।