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फिल्म सत्या-2 में मेरी ‘नारा’ की भूमिका बेहद चैलेंजिंग है: अमित्रियान

राजू बोहरा, नयी दिल्ली।

कहते हैं इस संसार में कोई भी इंसान जन्म से न तो विद्वान होता है और न ही बुद्धिमान। इंसान कड़ी मेहनत और अपनी सच्ची लगन से अपने कार्य को इतना अधिक ऊंचा उठा लेता है कि उसे समाज में मान-सम्मान और ख्याति तो मिलती ही है, साथ ही वो लोगों के लिए प्रेरक भी बन जाते हैं। ऐसी ही शख्यितों में एक नाम सामने उभरकर आने लगा है रामगोपाल वर्मा की अंडरवर्ल्ड पर बनी चर्चित फिल्म सत्या-2 के युवा अभिनेता अमित्रियान का। जिन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया है कि कठोर परीश्रम ही सफलता की कूंजी है। यूँ तो अभिनेता अमित्रियान इससे पहले भी दो फिल्मों में काम कर चुके हैं लेकिन फिल्म सत्या-2 एक तरह से उनकी लॉचिंग फिल्म है।

गौरतलब है कि साल अक्तूबर 2011 में रीलिज हुई मराठी फिल्म मन्या द वंडर बॉय से फिल्मों में करियर शुरू करने वाले अमित्रियान को पहली ही मराठी फिल्म के लिए दादा साहेब फालके फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट नवोदित एक्टर का अवॉर्ड भी मिल चुका है। इस फिल्म के बाद उन्हें रामगोपाल वर्मा की फिल्म के लिए चुना गया।
अभिनेता अमित अमित्रियान ने बताया कि जब में पहली बार राम गोपाल वर्मा से मिला तो सत्या 2 में काम करने की मेरे लिए कोईगुंजाइश नहीं थी, लेकिन बाद में उन्होंने मुझे दो फिल्मों के ऑफर दिए। लगभग 7 महीने तक मैं उनके फोन का इंतजार करता रहा। उस समय मेरे पास कोई काम नहीं था, मैंने उन्हें मैसेज किया कि मेरी आर्थिक स्थिति बिगड रही है और मैं अपना धैर्य खो रहा हूं। उन्होंने तुरंत ही मुझे दूसरे दिन अपने ऑफिस बुलाया। जब उनसे मिला तो उन्होंने मुझे सत्या-2 में नारा का रोल दिया। अपने किरदार के बारे में उन्होंने बताया कि यह कुछ-कुछ आमिर खान की फिल्म रंगीला के मुन्ना से मिलता-जुलता है। इन दोनों के रहन-सहन में कोई अंतर नहीं है। मैंने आमिर के उस रोल को देखकर भी काफी कुछ सीखने की कोशिश की।
सत्या 28 नवंबर को रिलीज होने जा रही है। 1998 में आई रामू की फिल्म सत्या का यह सिक्वल है। उस फिल्म में मनोज वाजपाई ने भीखू म्हात्रे की भूमिका निभाई थी। उस फिल्म को याद करते हुए अमित्रियान ने कहा कि स्कूल के समय दोस्तों के साथ इस फिल्म को देखने का प्लान बनाया था। हालांकि मेरे टिकट खरीदने के बाद भी कोई सिनेमा हॉल नहीं पहुंचा। शायद उनके पैरेन्ट्स को लगता था कि यह फिल्म वास्तविक है और बच्चों पर बुरा असर डालेगी। मैंने सारे टिकट ब्लैक में बेच दिए। सिर्फ एक बचाकर रखा और अकेले ही फिल्म देखी। वो बताते हैं कि शूटिंग के दौरान फिल्म को लेकर रामू से खूब बात होती थी। वो बहुत अच्छे इंसान हैं, उन्होंने मुझे अभिनय की बारीकियों के बारे में बताया। उन्होंने मुझसे कहा कि बहुत मुश्किल से अच्छे कलाकार मिलते हैं। मैं रामू का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री करने के मेरे इंतजार को खत्म करने में मदद की। इस फिल्म के लिए मैंने काफी मेहनत की है। उम्मीद करता हूं कि दर्शकों को मेरा काम पसंद आएगा।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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