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बिना खुद का वोट डाले कोषाध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया डीएन वर्मा ने

शिक्षक संघ चुनाव में जातीयता सर चढ़कर बोली

शैलेंद्र वर्मा अध्यक्ष, राना रोहित सिंह महामंत्री, वंदिता बनी उपमंत्री..

इंजीनियरिंग संस्थान के संविदा शिक्षकों ने निभाई अहम भूमिका..

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या। डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ चुनाव में जातीयता सर चढ़कर बोली। अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा, कोषाध्यक्ष देव नरायन वर्मा, संयुक्त मंत्री अमित सिंह यादव चुने गए। उपमंत्री वंदिता पांडेय व महामंत्री राना रोहित सिंह विजयी हुए। कोषाध्यक्ष पद आश्चर्यजनक परिणाम रहा। शिक्षक संघ का गठन करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले डाक्टर विनोद श्रीवास्तव को बुरी हार का सामना करना पड़ा।
डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय आवासीय शिक्षक संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए प्रो0 शैलेन्द्र कुमार वर्मा 118 मत पाकर विजयी घोषित हुुए। वहीं प्रो0 विनोद कुुमार श्रीवास्तव के पक्ष में 49 मत पड़े। डाॅ0 दिवाकर त्रिपाठी को तीन मत मिले। महामंत्री के पद पर डाॅ0 राना रोहित सिंह 86 मत पाकर विजयी घोषित हुए। प्रो0 शैलेन्द्र कुमार को 84 मत मिले। शिक्षक संघ के उपमंत्री पद के लिए डाॅ0 वन्दिता पाण्डेय 70 मत पाकर विजयी हुई। इनके सापेक्ष डाॅ0 लोकेन्द्र सिंह उमराव 66 मत व डाॅ0 अनुराग पाण्डेय को 34 मतों से संतोष करना पड़ा। संयुक्त मंत्री के दो पदो पर हुए चुनाव में डाॅ0 अमित कुमार सिंह 88 मत व डाॅ0 मणिकांत त्रिपाठी 80 मत पाकर विजयी घोषित हुए। दूसरी ओर इंजीनियर दिलीप कुमार को 57 मत, डाॅ0 बृजेश भारद्धाज को 56 मत व डाॅ0 अनूप कुमार श्रीवास्तव को 46 मत से संतोष करना पड़ा। वहीं कोषाध्यक्ष के पद के लिए डाॅ0 डीएन वर्मा 82 मत पाकर निर्वाचित घोषित हुए। डाॅ0 विनोद चैधरी को 78 मत प्राप्त हुए। दूसरी ओर उपाध्यक्ष पद पर डाॅ0 संग्राम सिंह व मीडिया प्रभारी के पद पर डाॅ0 अभिषेक कुमार सिंह निर्विरोध चुने गए।
एक लंबे संघर्ष के बाद अवध विश्वविद्यालय में हुए शिक्षक संघ के चुनाव परिणाम ने सबको चौंका दिया। जातीयता का भूत इस तरह नाचा कि कोषाध्यक्ष पद के प्रत्याशी देव नरायन वर्मा ने घर बैठकर चुनाव जीत लिया। मुकाबले में सौम्य व्यक्तित्व के डाक्टर विनोद चौधरी थे। डीएन वर्मा खुद अपना वोट डालने भी नहीं आए और ना ही गंभीरता से प्रचार किया था। पिछले दो वर्ष में विश्वविद्यालय के अंदर जातीयता जो जहर बोया गया था वो चुनाव में खिल उठा। जातीयता का जो फूल खिला उसे खादपानी भी शिक्षक राजनीति के एक मठाधीश ने दिया।विश्वविद्यालय परिसर की कमान इतिहास विभाग के दो क्षत्रिय शिक्षकों के हाथ में थी लेकिन इसमें से एक खेमे में ब्राह्मण शिक्षकों का बोलबाला रहा है। इस खेमे ने व्यूह रचना कर अध्यक्ष, महामंत्री के महत्वपूर्ण पद पर अपने उम्मीदवारों को जीताकर कब्जा कर लिया।
महामंत्री पद पर प्रो शैलेंद्र कुमार और डाक्टर राना रोहित सिंह आमने सामने थे। महामंत्री पद की लड़ाई में पाला बदलने की राजनीति का वो आइना ईजाद हुआ है जिसमें गिरगिट भी चेहरा देखना नहीं चाहेगा। यह संयोग ही है कि राना रोहित सिंह अपने व्यक्तित्व पर चुनाव जीत गए। उपमंत्री की एकमात्र महिला शिक्षक डाक्टर वंदिता पांडेय मामूली अंतर से चुनाव जीत गई लेकिन परिणाम ने शिक्षकीय गरिमा को रेखांकित कर दिया। किसी प्रत्याशी को जिताने के लिए महिला मतदाताओं की संख्या पर्याप्त है। महिला सशक्तिकरण के नाम पर ही वोट पड़ता तो वंदिता पांडेय की जीत कठिन ना होती।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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