बिहार में सुशासन में हजारों सुराख
बिहार की स्थिति दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है। राजधानी समेत पूरे प्रदेश में हत्याओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है। आये दिन दोहरे तिहरे हत्याकांड का गवाह बन रही है राजधानी। हालिया ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या एवं राजधानी में शव यात्रा के दौरान हुयी आगजनी से होती हुई पूर्व सांसद सुभाष यादव के साले पंकज यादव उर्फ पप्पू यादव की हत्या ने सुशासन की कलई खोल दी है। ज्ञात हो कि सुभाष यादव पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी के भाई एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद के साले हैं। जाहिर है यह एक हाई- प्रोफाइल हत्या का मामला है, तो जमीनी तौर पर उसकी लिपापोती का प्रयास लाजिमी है। पर किसी भी हाइ- प्रोफाइल हत्या के मामले की लिपा पोती का कितना भी प्रयास बिहार प्रशासन कर ले, परन्तु एक बात बिल्कुल शीशे की तरह साफ हो जाती है कि राजधानी समेत पूरे प्रदेश में अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं। तमाम पुलिसिया कार्रवाई के बावजूद धड़ल्ले से हथियारों का आदान प्रदान हो रहा है। आम आदमियों की जितनी भी फजीहत बिहार पुलिस कर ले पर अपराधियों के गिरेबान तक उनकी पहुंच अभी भी नहीं है। अब तक जितने भी हत्या के वारदात हो रहें हैं सब में पिस्टल और गोलियों का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करता है कि अपराधी कितनी आसानी से अपने साथ हथियार लेकर इधर से उधर घूम रहें हैं। पप्पू यादव की हत्या के दिन उनके नौकर की भी हत्या की गयी पर प्रशासन कुछ भी स्पष्ट करने से इंकार करता रहा। जाहिर है जब तक ऊपर से आदेश है तब तक मामले को दबाने का दबाव है। ठीक रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या की तरह, जब तलक मामला स्वयं शांत न हो जाये की तर्ज पर इस मामले को भी गोपनीय बना दिया गया। इन सब में बिहार की मीडिया का भी भरपूर सहयोग समय समय पर नीतीश सरकार को मिलता रहता है। पप्पू यादव की हत्या कब कहां और कैसे हुयी यह एक रहस्य बना हुआ है, पर बिहार सरकार की प्रशासनिक उदासीनता और खोखले दावे को अपराधियों ने अवश्य चुनौती दी है। बेखौफ अपराधियों ने पप्पू यादव के शव को फेकने लिये जिस स्थान का चयन किया वह दीघा थाने के पिछवाड़े का इलाका था। इसे अपराधियों का दुस्साहस समझा जाये या प्रशासन को चुनौती। जबकि पप्पू यादव के नौकर का शव उनके घर खाजपुरा के मीरगंज कोठी से बरामद किया गया। पुलिसिया जानकारी कितनी हास्यास्पद है कि अपराधियों ने पहले पप्पू यादव को अन्यत्र ले जाकर गोली मारी और शव को फेक कर फिर वापस आये और उनके नौकर की हत्या की। जाहिर है सब कुछ मामले के ठंढा होने तक का टास्क था बिल्कुल रटा रटाया। अपराधियों के वापस आकर नौकर की हत्या एक बात तो तय करती ही है कि अपराधियों को किसी बात का भय नहीं था। क्या अपराधी यह सोचकर वापस आये कि घर में अगर नौकर अकेला नहीं भी रहा तो जितने लोग होंगे उन्हें मौत के घाट उतार देना है? या फिर वे उस घर की एक एक वारदात से परिचित थे।
जोर, जोरू और जमीन को आधार बना कर हमेशा जांच में जुटी पुलिस ने इस बार भी इसी को हथियार बनाया पर उनकी तारीफी इस बात पर कि इस बार तीनों ही मोटिव एक साथ लगा दिये। मसलन पप्पू यादव का आपराधिक चरित्र का होना, पत्नी से अलगाव एवं संपत्ति के साथ साथ पर स्त्री से संबंध। वाह ! बिहार पुलिस कितनी सजग, सफल और समझदार।
बहरहाल मसला आम जन के लिये भले गंभीर हो। उन्हें अपनी सुरक्षा में सेंध दिख रही हो, पर नीतीश सरकार तो सुशासन का जामा ओढ़े हुये जब तक संभव हो सत्ता पर बने रहना चाहती है। बिल्कुल इसी राग के साथ कि बड़े बड़े राज्यों में छोटी छोटी घटनायें होती रहती हैं।
अनीता जी के आलेख को पढ़कर पटना ही नहीं पूरे बिहार की कानून-व्यस्था की स्थिति को समझा जा सकता है। जब राजधानी में ही इतनी बड़ी-बड़ी वारदातें हो रही हैं तो बाकी जिलों की क्या स्थिति होगी-इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। बिहार की मीडिया का जो दोगलापन है कि नीतीश के राज्य में अनीता जी के आलेख से स्पष्ट है। मीडिया तो बस कहने भर को है। छापा या दिखाया वही जा रहा है जो नीतीश सरकार चाहती है।
bahut sahi kaha aapne sushashan ka dhol to khub bajta hai magar kahi ye gikhta nahi chahe gram panchayat ka office ho ya secrateret sab jagah bhrastacha hai crime v khub joro par hai patna me v vip[ jab surakshit nahi hai to or kya kahna
बिहार एक लुटता प्रदेश, जो आया उसी ने लुटा। आजादी के बाद इसका यही इतिहास रहा है। इसके लिए यहां कि जनता खुद जिम्मेवार है। सिर्फ हवा में उड़ने वाली खबरों पर यह ध्यान देती है हकीकत पर नहीं। इसी का फायदा उठाकर नेता अपना कामा साध जाते हैं, नीतिश हों या लालू दोनों ने, जनता के इस कमजारी का भरपूर आनंद लिया। जनता को चेतना होगा। अनिता जी आपने जो आवाज उठाई वह काबिले तारिफ है।
bihar mi aaj kal kuch acha sasan chal rha h …
bihar k kuch dist.. asi be h jo vikshet h ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; bihar is good state ;;;;;;;;
Bihar ‘s sushasan is in media only.
garibi aur apradh ka barhna sushashan hai to bihar me sushashan jaroor hai