मांझी के शासनकाल में दलितों पर अत्याचार बढ़ा है- पशुपति कुमार पारस
तेवरऑनलाईन, पटना
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा की बिहार में जब से जीतन राम माँझी कि सरकार बनी है तबसे बिहार में दलितों के उपर अत्याचार बढ़ गया है। अभी हाल में भोजपुर के कुरमुरी गांव में दबंगों के द्वारा 6 महिलाओं को जबरदस्ती शराब पिलाकर गैंगरेप किया गया इसके बाद 15 अक्टूबर को रोहतास जिला के मोहनपुर गाँव में बकरी चराने को लेकर एक महादलित परिवार के साईं राम बच्चे को जिन्दा जलाकर मार डाला गया यानी की प्रतिदिन बिहार में जुल्म, अपहरण, डकैती महिला उत्पीड़न की घटनाओं में काफी वृद्धि हो गई है। ऐसा प्रतित होता है कि बिहार में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। मैं मांग करता हूं कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए। प्रदेश प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी ललन कुमार चन्द्रवंषी ने बताया की प्रदेश अध्यक्ष श्री पारस ने रोहतास जिला के मोहनपुर ग्राम में जो घटना घटी उसे देखते हुए दलित सेना के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार साधु के नेतृत्व में 17 अक्टुबर को जांच दल का गठन कर घटनास्थल पर भेजा जांच दल में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अम्बिका प्रसाद विनू, प्रदेश प्रवक्ता असरफ अंसारी, महासचिव ललन पासवान, युवा राष्ट्रीय महासचिव राकेश सिंह, व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेष अध्यक्ष अनन्त कुमार गुप्ता, पुलिस राम, घटना स्थ्ल पर जाकर जांच दल ने देखा और वहां से जानकारी जो मिला उसमें सही पाया गया और जांच रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सुपुर्द कर दिया। आगे श्री पारस ने कहा कि मृतक के परिवार को 10 लाख रूपये और एक सदस्य को सरकारी नौकरी मुआवजा देने की मांग की है।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डा. सत्यानन्द शर्मा और प्रदेश महासचिव विष्णु पासवान ने कहा कि जीतन राम मांझी की सरकार महात्मा गांधी के रास्ते को बंद करना चाह रही है जो लोकतंत्र के लिए घातक कदम है। जन जागरण के लिए या जन आन्दोलन के लिए धरना, प्रदर्शन, सत्याग्रह पदयात्रा करना देश के नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। संविधान निर्माण के समय ही संविधान निर्माता डा. भीम राव अम्बेडकर ने इसकी न सिर्फ व्याख्या की है बल्कि इसे जनता के मौलिक अधिकार से जोड़ा है। सत्ता में गरीबों, दलितों, अतिपिछड़ों के समुचित भागीदारी के लिए गया जिला में पदयात्रा कर रहे डा. भीमराव अम्बेडकर के सिद्धान्तों पर चलने वाले समाजसेवी सरोज कुमार निराला, रामाधार प्रजापति, राजेश कुमार रवि, नागेष्वर पासवान, रामधनी मांझी, रामउचित पासवान, भन्ते सुधानन्द, भन्ते सुधीर पाल, भन्ते धर्मबोधी एवं दयानन्द मिस्त्री अपने सैकड़ों साथियों के साथ गया जिला में पदयात्रा कर रहे थे। तब उन्हें पुलिस ने जबरन रोका और गिरफ्तार कर लिया। यह अलोकतांत्रिक कदम है। पुलिस और सरकार के इस कारवाई की जितनी निन्दा की जाये कम है। सरकार ऐसी कारवाई करके शांतिपूर्ण तरिके से आन्दोलन का रास्ता जब बंद करती है तो उसकी गम्भीर प्रतिक्रिया होती है और यही से उग्रवाद का जन्म होता है। जो राज्यहित में नहीं है। सरकार सभी पदयात्रियों को तत्काल रिहा करे और पदयात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा का इन्तजाम करें।