नशे का हब बन रहा है पटना

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तेवरआनलाईन, पटना

विकसित बिहार के नारा के साथ बिहार में नशेड़ियों की एक नई फौज भी उभर कर सामने आ रही है। पटना तो पूरी तरह से नशे का हब के रूप में तब्दील हो चुका है। हर गली हर चौराहे पर गांजा और भांग बिक रहे हैं। बस जेब में पैसे होने चाहिये यहां पर अफीम, चरस और स्मैक तक आपके आसानी से मिल जाएंगे। नशे का कारोबार शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। इसकी ओर से आंखे मूंद कर पुलिस भी इस धंधे को प्रश्रय देने में लगी हुई है। ओहदे के मुताबिक बंधी बंधाई रकम नशे के कारोबारियों द्वारा इन तक पहुंचा दी जाती है।  

पटना में स्थित लगभग सभी आटो स्टैंड पर गांजा की बिक्री खुलेआम हो रही है। पटना स्टेशन के पास स्थित आटो स्टैंड के पास तो गंजेड़ियों की कई टोलियां बैठी रहती है और दिन भर दम मारो दम के तर्ज पर धुआं उड़ाते रहते हैं। आटो स्टैंड से सटे ही कई छोटी बड़ी गुमटियां (लकड़ी बनी की दुकान) है जिसमें हर तरह की पुड़िया मिल जाती है। यहां तक कि इनमें भरा भराया सिगरेट भी मिल जाता है। कई आटो चालक नशे की हालत में ही सवारियों को यहां से वहां ले जाते हैं। इनमें बैठने वाले सवारियों को भी पता नहीं होता है कि किस तरह का खतरा वे उठा रहे हैं। यहां पर चल रहे नशे के कारोबार के बारे पुलिस को अच्छी तरह पता है, लेकिन इन दुकानों को बंद करके पुलिस वाले अपनी कमाई से हाथ धोना नहीं चाहते।    

इसी तरह पटना का हार्डिंग पार्क भी गंजेड़ियों और नशेड़ियों का अड्डा बना हुआ है। शाम ढलने के बाद तो यहां पर वेश्याएं भी खुलेआम धंधा करती हैं। अधिकतर वेश्याएं संक्रमण बीमारी से बुरी तरह से ग्रस्त है, नशा करने के बाद लोग सजह तरीके से इन वेश्याओं के शिकार हो जाते हैं।

सचिवालय के पास स्थिति रेलवे गुमटी नशाखोरी का एक प्रमुख अड्डा बना हुआ है। लोग दिन में ही यहां बैठकर चिलम पर चिलम उड़ाते रहते हैं। जुजरा और राजापुल भी नशाखोरी के लिए जाना जाता है। इन इलाकों में कई ऐसे दुकान है जहां से सहजता में नशा की पुड़िया मिल जाती है। पटना सिटी और गांधी मैदान के पास तो अफीम और चरस तक आसानी से मिल जाते हैं।  

 नशा के कारोबारी युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। व्यवस्थित तरीके से स्कूली बच्चों तक को इसका शिकार बना रहे हैं। कालेजों में तो पहले से ही गांजा धड़ले से बिक रहा है। यहां तक कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में भी नशे के सौदागरों की पैठ बनती जा रही है। एक निजी शैक्षणिक संस्थान के शिक्षक ने स्वीकार किया कि उनकी क्लास में बहुत सारे छात्र गांजा पीकर आते हैं।

यदि समय रहते नशे के इस कारोबार पर व्यवस्थित तरीके से हमला नहीं किया गया तो बदलते बिहार की नई तस्वीरों में एक तस्वीर नशे में ऊंघते हुये एक नये वर्ग का भी होगा।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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